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30/06/2013  
उत्तराखंड में हुई भयानक तबाही और विनाश के मंजर की आप बीती
 

उत्तराखंड में जिन्दगी और मौत के बीच झूलते हुए लोगों ने नर्क भोगा..उत्तराखंड में हुई भयंकर तबाही और विनाश के बीच 12 दिन तक जिन्दगी और मौत के बीच झूलते हुए जिन लोगों ने अपनी जिन्दगी बिताई

उनमे से राजस्थान के 23 लोग देर रात एक संवाददाता सम्मलेन में मीडिया से रूबरू हुए और उन्होंने अपनी दर्दनाक आप बीती सुनाई ! इन लोगों को 27 तारीख को आर्मी ने बद्रीनाथ से निकाला था जिन्हें जोशी मठ से पंजाब पुलिस के एक बस में ऋषिकेश के लिए रवाना किया गया और इनके साथ देश के प्रमुख सामजिक संगठन अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच और व्यापारियों के शिखर संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के कार्यकर्त्ता साथ थे जिन्होंने इन्हें ऋषिकेश से एक प्राइवेट बस में जयपुर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी ली थी ! इसी बीच ये लोग कल देर रात दिल्ली पहुंचे थे !

ज्ञातव्य है की उत्तराखंड में हुई भयंकर त्रासदी के राहत कार्यों में अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच और कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा संयुक्त रूप विनाश लीला से प्रभावित क्षेत्रों में जा कर बड़े पैमाने पर राहत कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाई जा रही है यहाँ तक की मारवाड़ी युवा मंच ने अपने संसाधनों से 3 प्राइवेट हेलीकाप्टर भी राहत कार्यों हेतु उत्तराखंड सरकार को गत 20 जून से दिए हैं जो जब तक राहत कार्य जारी रहेगा तब तक राहत कार्यों में लगे रहेंगे ! दोनों संगठनों ने अब तक लगभग 1 .5 करोड़ रुपये की राहत सामग्री उत्तराखंड के त्रासदी प्रभावित क्षेत्रों में वितरित की है और बड़ी संख्या में कार्यकर्त्ता सहायता के काम में  अभी भी जुटे हुए हैं !

इस आपदा में फंसे लोगों में से एक  राम चरण नाटाणी ने आप बीती सुनाते हुए बताया की इन दिनों में उन्होंने एवं उनके परिवार ने कई बार मौत को करीब से देखा और जिन्दगी की आस छोड़ दी ! न कुछ खाने को और न ही कुछ पीने को और ऊपर से बरसात की मार, बस सब लोग एक दूसरे के आंसू ही पोंछते थे ! सरकार की ओर से किसी प्रकार की कोई राहत नहीं ओर कोई पूछने वाला नहीं ! जयपुर के ही रहने वाले  गोविन्द शरण ने बीते दिनों की याद को अपनी जिन्दगी का एक बेहद काला अध्याय बताते हुए कहा की सब प्रकार से समर्थ होने के बावजूद वहां हम भिखारियों से भी बदतर हालत में थे ! कई मौको पर घोड़े के खाने वाले चने भी हमको खाने पड़े ! इसी दल की विमला गोलिया ने सरकार पर बेहद लापरवाही बरतने की बात कहते हुए कहा की यदि आर्मी न होती तो शायद हम कभी भी जिन्दा वापिस न आते ! किसी सरकार ने हमारी कोई सुध नहीं ली ! अभी भी वहां हजारों लोग पड़े  है ! एक एक दिन कई साल के समान लगा ओर हमने तो जिन्दगी की आस ही छोड़ दी थी ओर हर पल मौत का इंतजार करते थे ! अभी भी अपने जिन्दा होने पर हमको शक होता है ! नर्क क्या होता यह इन दिनों में हमने महसूस किया ! सभी वापिस लौटे लोगों के चेहरों पर तबाही के मंजर ओर विनाश का डर साफ़ दिखाई दी रहा था ! बोलने में कम्पन और कंपकपाते हाथ उनकी मानसिक स्थिति की साफ़ बयानी कर रहे थे !

 अखिल भारतीय  मारवाड़ी युवा मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष  ललित गाँधी जो कैट के उपाध्यक्ष भी हैं और मारवाड़ी युवा मंच की राष्ट्रीय संयोजिका तथा कैट की महिला विंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष  सीमा सेठी जो स्वयं उत्तराखंड के दुर्गम और प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री वितरित करते हुए कल  ही दिल्ली लौटे थे  ने संवाददाता सम्मलेन में बताया की उत्तराखंड में राहत  कार्य करते हुए भयंकर विनाश दिखाई दिया और लोगों के हताहत होने की कोई भी संख्या का अनुमान लगाना बेहद कठिन   है ! यह निश्चित है की देश में अब तक की यह सबसे बड़ी त्रासदी है जो बेहद दुखद है !

  गाँधी और श्रीमती सीमा सेठी ने बताया की उन लोगों ने हर्दिवर, ऋषिकेश और देहरादून के अलावा स्वयं रुद्रप्रयाग,श्रीनगर, गोचर, पीपल कोटि, जोशीमठ आदि क्षेत्रों में अपनी टीमों के साथ गए और आर्मी, बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन तथा सरकारी अधिकारीयों के साथ मिलकर अनेक प्रकार की राहत सामग्री बांटी जिसमें मुख्य रूप से सूखे खाने के पैकेट, दवाइयां, पीने के पानी की बोतलें, आदि बांटे   गए !

 कैट में राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया की  गाँधी और श्रीमती सीमा सेठी ने  मारवाड़ी युवा मंच और कैट की और से संयुक्त रूप से उत्तराखंड के गोपालेश्वर जिले के पूर्णा गाँव को गोद लेने के लिए वहां के डी एम् मुरुगेशन को कहा है जबकि रुद्रप्रयाग के डी एम्  दिलीप जावलकर को उनके क्षेत्र में एक गाँव देने का आग्रह किया है जिसका सम्पूर्ण विकास दोनों संगठन मिलकर करेंगे ! इस हेतु आवश्यक कार्यवाही के लिए दोनों संगठनों का एक संयुनक्त दल शीघ्र ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से मिलेगा !  खंडेलवाल ने यह भी बताया की आगामी 3 जुलाई को नागपुर में कैट की कोर कमेटी की एक बैठक हो रही है जिसमें उत्तराखंड में किस प्रकार सहयोग दिया जाए उस पर चर्चा होकर निर्णय होगा !

 

मणि आर्य , संवाददाता , दिल्ली

 

 

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