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19/09/2013  
भ्रष्टाचार पर लिखी बकासुर द जम्बो क्रिमिनल, डॉ एन.दलीप कुमार ने
 

भ्रष्टाचार मौजूदा वक्त में सबसे बड़ा मुद्दा है....देश को दीमक की तरह चाटने वाले भ्रष्टाचार के इस मुद्दे पर पूर्व आईपीएस अधिकारी डॉ एन.दलीप कुमार ने एक पुस्तक बकासुर द जम्बो क्रिमिनल लिखी है...इस पुस्तक का विमोचन आम आदमी पार्टा के संस्थापक अरविंद केजरीवाल ने प्रैस कल्ब में किया..

.इस पुस्तक का कवर और पुस्तक में दिये गये चित्र राष्ट्रीय सम्मान से नवाज़े गये चित्रकार रुपचंद ने डिज़ायन किया है...यह पुस्तक आने वाली पीढ़ी को वर्तमान भ्रष्टाचार,बेईमानी और अव्यवस्था की तस्वीरें दिखाती है....लेखक की माने तो इस पुस्तक का उद्देश्य देश के ऐसे इमानदान और भावी नागरिकों को उनके कर्तव्य के बारे में याद दिलाना है...देश के युवाओं को देश के भविष्य की लड़ाई शुरु करने के लिए शिक्षित और प्रेरित करना है

इस पुस्तक को लिखने की प्रेरणां लेखक को जहां अपनी धर्म पत्नी पदमजा से मिली है...वही पुस्तक के लेखक का कहना है कि इस पुस्तक के लिखने में प्रोतसाहन मुझे मेरे अभिन्न मित्र और वरिष्ठ पत्रकार राजीव निशाना से मिला है...यही वजह है कि अपने सहयोगियों की फेहरिस्त में अपनी धर्मपत्नी से भी लेखक ने पुस्तक के पहले पन्ने पर पहला नाम राजीव निशाना का लिखा है....वही इस पुस्तक का हिन्दी अनुवाद पत्रकार अशोक राणा ने किया है

देश भ्रष्टाचार की दलदल में धंसता चला जा रहा है... भ्रष्टाचार के इस बकासुर राक्षस से पीडित पूरा देश त्राहीमाम त्राहीमाम कर रहा है...इस राक्षस के वध के लिए अन्ना हज़ारे ने लोकपाल को जनम देने का ख्वाब देखा...इस ख्वाब को हकीकत में बदलने के लिए अन्ना का साथ केजरीवाल और किरणबेदी ने दिया...लोकपाल को लेकर बिगुल फूंका गया... भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हज़ारे और किरणबेदी के साथ लोकपाल को लेकर लड़ने वाले अरविंद केजरीवाल को लोकपाल आंदोलन में लोगों ने हाथों हाथ लिया था...लेकिन केजरीवाल की राह जल्द ही अन्ना और किरण बेदी से अलग हो गई...अन्ना का खवाब टूट गया...अरविंद केजरीवाल अब लोकपाल को संसद की राह पर चलकर  सत्ता परिवर्तन से भ्रष्टाचार का अंत करने का दावा ठोक रहैं हैं....लेकिन सियासत में सत्ता की राह इतनी आसान नहीं है...ख्वाब और हकीकत में जमीं-आसमान का फरक होता है...

बहरहाल लोकपाल बेशक लोगों के लिए एक सपना बनकर रह गया हो लेकिन इसके बाद भी  लेखक की उम्मींद कायम है....लेखक को लगता है कि अगर नई पीढ़ी के लोगों में अभी से दायित्व नैतिक मुल्यों और आदर्शों का बीजारोपण किया जाए तो बदलाव की ब्यार बह सकती है....इस पुस्तक का मक्सद नई पीढ़ी को मजबूत,नीतिवान और जवाबदेह बनाने के लिए प्रोत्साहित करना है....शायद यही वजह है कि लेखक ने इस पुस्तक की बिक्री से प्राप्त लाभ का अस्सी प्रतिशत हिस्सा बच्चों के कल्याण के लिए गठित कोष में देने का अहम फैसला लिया है 

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