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06/11/2013  
बेस्ट एंकरिंग के लिए 4 रीयल न्यूज के अंजीत को मिला अवार्ड
 

मिडिया में अलग-अलग फिल्ड के महारथियों को न्यूज पेपर एसोसिएशन ऑफ इंडिया नें अपने सालाना कार्यक्रम में सम्मानित किया, इसमें बेस्ट एंकर अवार्ड से नवाजा 4 रियल न्यूज के अंजित विजय को....

न्यूज़पेपर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एन ए आई ) दिल्ली का 21 वां वार्षिक सम्मेलन हर साल की भांति इस बार भी संपन हुआ | देश के कोने - कोने से संस्था सदस्य और समाचारों के प्रतिनिधि अपनी समस्या निदान विषयों को लेकर देश की राजधानी में आयोजित स्थान पर एकत्र हुए । आयोजन में केंद्रीय मंत्री व न्यायमूर्ति सहित देश के मिडिया पंडितों को आमंत्रित किया गया था ताकि ख़ास समस्याओं पर मीडिया पालिसी लागु करने में राज्यों को आगे लाया जा सके।
न्यूज़पेपर्स एसोसिएशन आफ इंडिया-
1993 में स्वर्गीय डॉक्टर एम् आर गौड़ द्वारा संस्थापित व पोषित यह संस्थान एसोसिएशन वर्तमान आकार महारास्ट्र की धरती से जुड़े ख्याति प्राप्त पत्रकार नन्द दर्शन विभूति सूर्यभान एम् राजपूत के नेतत्व में है जब कि प्रभावशाली सहयोग मार्गदर्शन में देश की विभूतियों में शामिल पत्रकारिता व फ़िल्मी जगत की हस्ती संदीप मारवाह सहित मिडिया पंडित सुनील डांग सहित अनेक जानी मानी हस्तियाँ में पूर्व प्रधानमन्त्री भारत रत्न नंदा के शिष्य एवं Nai उत्तरी भारत कमेटी के चेयरमेन के आर अरुण विभूतियों में शामिल शख्सियतें योगदान दे रही हैं। Nai युवा नेतत्व संस्था सम्पादन में मुंबई फ़िल्मी जगत से निकल कर आये पत्रकार संस्था के महासचिव विप्पिन गौड़ की सक्रिय टीम ने एक नये निखार का स्वरूप पेश किया है।
समाचार पत्रों की विकास यात्रा -
न्यूज़पेपर्स एसोसिएशन आफ इंडिया संस्था का नेतृत्व अपनी रचनात्मकता प्रोत्साहन में उन मझोले लघु समाचार पत्रों की और खास हाथ बढ़ाये हैं जो किन्ही कारणों से अपनी आवाज देश की राजधानी तक पहुंचा पाने में विफल थे परिणाम स्वरूप एन ए आई का वर्तमान स्वरूप ७५०० से अधिक हर वर्ग के समाचार सदस्यों का विशाल समूह मीडिया पालिसी की आवाज पैदा करने में हम देश के हर कोने में समाचार पत्रों तक भी खास पहुंच बना सके है ।समाचार पत्र की हकों की मांग में भारत सरकारें और राज्यों की सरकारें हमारे प्रस्ताव मांग पर गौर करने में काफी सफलताएँ भी हाथ लगी है जो की अभी हमारे मिशन की आवाज में काफी महत्वपूर्ण विषयों इस आन्दोलन को आगे ले जाने की कोशिश है ताकि मिडिया धर्म में लगे प्रहरी संसाधनो के अभावों को दूर करने के साथ साथ जोखिमो से लड़ने वाले मिडिया धर्म प्रहरी सुरक्षा कवच पाने में भी सफल हो सकें।
एन ए आई का वर्तमान स्वरूप
एन ए आई का वर्तमान स्वरूप ७५०० से अधिक हर वर्ग के समाचार सदस्यों का विशाल समूह है । देश के सामने भारत में इस तरह का पहला पत्रकारिता संस्थान है जो पत्रकारिता की तकनीकी उपलब्धियों को उभरती प्रतिभाओं तक लाने में मासिक जानकारियां सभाओं ,सम्मेलनों ,बुलेटिन द्वारा पहुंचाता है तथा उन प्रतिभाओं को सम्मानित करता है जो जनसेवा पत्रकारिता अभिनय द्वारा समाज व देश के हितों के लिए जोखिमों को उठाकर अपने दायित्व धर्म में निष्ठा पूर्वक इस पेशे को समाज कीर्ति का स्थान दिलाये हुए हैं।
नए भारत की उर्जा की सरस्वती मीडिया के पास -
आजादी के महान सपने को पूरा करने की असली ताकत मीडिया की नैतिक शक्ति केवल उत्साह से भरे हुए मिडिया की रचनात्मक हस्तियों के पास है जो संसाधन विहीन उत्साही पत्रकारों के बल से ६६ साल आजादी के बाद १२० करोड़ का बलशाली भारत खड़ा करने और उसे हस्ती बनाने में सफल हुए हैं, भले ही यह उत्साह सफल राजनैतिक यात्रा से हम यहाँ तक पहुंचे हों मगर सचेतक देश की उत्साही पत्रकारिता ही रही है। अब नये भारत की उम्मीद मीडिया की रचनात्मक वह संगठनात्मक शक्ति है जो संगठित और व्यवस्थित संसाधित है। मीडिया चेतना में तेजस्वी भारत बनाने केलिए बदलाव में ग्रामीण भारत को आगे लाने की जरूरत है ताकि ग्रामीण भारत का समाज संसाधनो के आभाव में दुनिया की उन उपलब्धियों से वंचित है जिससे नई पीढ़ी के उत्साह को सही दिशा देने के लिए ग्रामीण भारत पीढ़ी खुद के ज्ञान को दुनिया में शामिल कर उनके आगे खड़ा कर
सके।
हमारा प्रयास -
हम दुनिया के साथ बढ़ती प्रतिस्पर्धा मे स्वयं को खड़ा कर सकें। तकनीकी संसाधन आभाव जोखिम भरी खबरों का आंकलन करने में समाचार पत्रों व चेनलों से जुड़े प्रतिनिधि सुरक्षा आभाव में आज भी संकट का सामना कर रहे हैं । इस आभाव को दूर करने में हमारी मिडिया पालिसी का धरातल पर न उतर पाना एक बड़ा कारण है जिसे दूर करने की जिम्मेदारी इन पत्रकार संस्थाओं की खास कर है जो केंद्र व राज्यों से गारंटी लेने में सफल हो सकें।
हमारा चिन्तन -
न्यूज़पेपर्स एसोसियशन आफ इंडिया का गहन चिन्तन इस बात को लेकर आवश्यक है कि विज्ञान प्रोधिगिकी युग में जहाँ बटन दबाते ही जानकारियां उपलब्ध कराने के संसाधन आ चुके है मगर विकास युग की इन उपलब्धियों के बीच केवल संसाधन आभाव के बीच पिसता हुआ कलमकार पत्रकार जिसके पास ज्ञान के समुन्द्र में गोता लगाकर इतिहास खंगाल लाने की ताकत है वह भी संसाधन तकनीकी जरूरतों के आभाव में घटना की जानकारी के लिए बिना बिजली कम्प्यूटर की उपलब्धियों का लाभ नही ले पाता. कहने का मतलब ग्रामीण भारत अभीतक समय पर खबर पहुँचने ,आगे लाने में सफल नही हो सका जिसे हम दुनिया के साथ बढ़ती प्रतिस्पर्धा योग्य स्वयं को खड़ा कर सकें। कुपोषण हो या अन्य घटनाओं की जानकारी तब मिल पाती है जब अलर्ट करने का समय निकल चूका होता है। चक्रवात भूकम्प की जानकारी केवल शहरो तक सीमित रह जाती है.फ़िर हम किस मीडिया को उपलब्धियों का भारत कह सकते हैं।
इस संगठित मंच का धेय
पत्रकारिता का महत्व समाज में असरकारक बनाने की आवश्यकता है जिससे पता चल सके क़ि उसका त्याग क्यों महत्व पूर्ण है और मर्यादित क्यों होता है -
1-मिडिया की सही पेरोकारिता का महत्व जर्नलिस्टों पर इसलिए सही निखरता है क्योंकि पत्रकार किसी प्रकाशक के यहां नियोजित कार्य कर रहा होता है या स्वतंत्र तौर पर,निजी प्रकाशक सम्पादक जवाब देह होने के कारण वह एक महत्वपूर्ण मिशन के लिए कार्य करता है उसकी मर्यादाएं हैं । एक पत्रकार भाषण और अभिव्यक्ति की कला मे माहिर होता है इसलिए समाज में उसका प्रतिनिधित्व महत्व पूर्ण माना गया है।
2-इतिहास में विद्वान पत्रकार बिरादरी के पंडितों की यह राय काफी लाभ प्रदान करने वाली है की पत्रकारों को अपने मिशन के लिए कार्य करते समय इन दो उद्धरणों को जरूर देखना चाहिए-कि पत्रकारों के पास ना सिर्फ आम-आदमी की आवाज़ उठाने की जिम्मेदारी है बल्कि परिस्थिति विशेष में पत्रकारों को किसी समुदाय विशेष को हुई असुविधा या समुदाय के बीच में संवाद स्थापित करने की भी दोहरी भूमिका निभानी पड़ती है। लेकिन पत्रकारों को ऐसे कार्यों को करते समय यानि इस तरह की भूमिका निभाते समय भावना में बहकर कभी काम नहीं करने चाहिए और उन्हें सदैव अनुशासन में रहकर अपने दायित्वों को निभाना चाहिए।
3- दूसरे शब्दों में आप कह सकते हैं कि पत्रकार अपने कार्यों के लिए उचित प्रतिबंधों से घिरा हुआ है। पत्रकार की स्वतंत्रता इसलिए नहीं है कि वह किसी व्यक्ति विशेष या संस्था को समाज की नज़रों में कम करके आंके या किसी भी नागरिक के प्रति उसका रवैया पूर्वाग्रह से ग्रसित हो। इस तरह के कार्य भी भारतीय संविधान की धारा 20 और 21 का खुल्म-खुल्ला उल्लंघन करता है।मीडिया का काम है कि वह तथ्य पेश करे और फैसला लोगों पर छोड़ दे।
शोशल मिडिया को दिशा सचेतक बनाने की पहल -
शोशल मीडिया ने दबी भावनाओ को जो पंख दिए हैं वह अभिव्यक्ति निश्चय ही हर व्यक्ति के लिए भारत के संविधान की धारा 19 के अनुसार, प्रत्येक भारतीय को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्राप्त है। मगर अभिव्यक्ति की नैतिकता विचारों की गरिमा बढ़ाती है इसीलिए समाज को सही विचार परोसने में समाज सेवकों से लेकर पत्रकारों तक मर्यादा ने खास भूमिका निर्वाह की है इसलिए पत्रकारिता एक पेशा ही नहीं, बल्कि एक विशेषज्ञता है।उन्होने बताया की अलर्ट न्यूज़ सर्विस इस स्वप्न को पूरा करने वाली टीम है।
२०१४ से नई तालीम आरम्भ करेगा एन ए आई -
खास कोशिश उत्तरी भारत कमेटी अपनी योजना को सार्थक रूप देने के लिए कुछ जिलों में एसोसिएशन की और इस योजना को धरातल पर उतरने लिए एन ए आई - नई तालीम रोल मोडल मिडिया आइडियल पायलट प्रोजेक्ट लांच करने जारही है, जिसमे फेसबुक सोशल मीडिया भी शामिल होगा और एन जी ओ जनसेवा सेवा से जुड़े पत्रकारों की यह रचनात्मक शक्ति का संदेश देश को मिल सके।
इस सम्मेलन का महत्व-
न्यूज़ पेपर्स एसोसिएशन आफ इंडिया का 21 वां अधिवेशन हमारे मिशन को धेयवादी संकल्प से जोड़ना और इरादों के लोकतंत्र को मजबूत करना करना है .इस मंच में मंथन के लिए उपयोगी है आवश्यक सुझाव सम्मेलन में भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया जाए | जो क्षेत्रीय समाचार पत्रों को कारगर और प्रभावी रूप से धर्मनिरपेक्ष साख के पालन के साथ हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत बनाने में एक बड़ी भूमिका निभा सकें . हमारे लोकतंत्र की ताकत दूरदराज के इलाकों में कर सकें, गहरी उनकी पहुंच से जानकारी और इन क्षेत्रीय और स्थानीय भाषा के समाचार पत्रों के प्रसार में निहित है और लोगों को बिजली की तरह लोकतांत्रिक विचारों और फायदे के प्रसार में एक प्रभावी भूमिका निभा सकें। .
खास कोशिश समाचार पत्रों व चेनलों से जुड़े प्रतिनिधि सुरक्षा आभाव में आज भी संकट का सामना कर रहे हैं इस आभाव को दूर करने में हमारी मीडियापालिसी का धरातल पर न उतर पाना एक बड़ा कारण है जिसे दूर करने की जिम्मेदारी इन पत्रकार संस्थाओं की खासकर है जो केंद्र व राज्यों से गारंटी लेने में सफल हो सकें।

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