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25/11/2013  
राजस्थान के सिंहासन पर कौन राज करेगा...
 

राजस्थान के सिंहासन पर कौन राज करेगा... किसके हाथ होगी सत्ता की चाभी... और कौन बनेगा राजस्थान का मुख्यमंत्री... इसके फैसले में चंद दिनों का समय बचा है... एक दिसंबर को जनता ईवीएम के जरिए अपना फैसला देगी... लेकिन अभी तक का चुनावी माहौल बताता है कि मुकाबला कड़ा है... और चुनाव में विकास... भ्रष्टाचार... महंगाई के साथ साथ स्थानीय मुद्दे ही हावी हैं....

राजस्थान में सत्ता के सिंहासन के लिए मुकाबला दिन ब दिन कड़ा होता जा रहा है... मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच है... और दोनों ही पार्टियों ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है... 2008 विधानसभा चुनाव में महज डेढ़ फीसदी से भी कम वोटों अंतर से बीजेपी से सत्ता हथियाने वाली कांग्रेस के सामने सिंहासन बचाने की चुनौती है... तो बनवास झेल रही बीजेपी दोबारा इसे पाने के लिए हाथ पैर मार रही है... इस बार के चुनावों में विकास और भ्रष्टादचार का सफाया ही मुख्य मुद्दे हैं... कांग्रेस को महंगाई और भ्रष्टाचार को लेकर लोगों की नाराजगी के अलावा सत्ता विरोधी रुझान का भी सामना करना पड़ेगा...
राजस्थान में मुख्य मुकाबदला दो शख्सियतों के बीच होगा... कांग्रेस की तरफ से अशोक गहलोत और बीजेपी की तरफ से वसुंधरा राजे सिंधिया... राजस्थान का राजनीतिक इतिहास गवाह है कि यहां हर पांचवे साल सत्ता एक दल से दूसरे के हाथ जाती रही है... हालांकि, राजस्था न में बेरोजगारी, गरीबी और पिछड़ापन... महिला विकास... और पेयजल की किल्लत... ये कुछ ऐसे सवाल हैं... जिनके जवाब का इंतजार राजस्थान को आज भी है...
मौजूदा गहलोत सरकार पर आरोप लगता रहा है कि वो बुनियादी संरचनाओं को सुधारने को लेकर भी कोई ठोस उपाय नहीं कर सके... इसके अलावा उनके कई मंत्रियों पर यौन शोषण के आरोपों ने गहलोत के लिए समय समय पर मुश्किलें खड़ी की... ऐसे में कांग्रेस के लिए दोबारा सत्ता में वापसी की राह कठिन जरूर है...कई चुनावी रैलियों के दौरान बीजेपी ने सरकार की बखिया उघेरने की कोशिश की। वैसे बीजेपी की पिछली सरकार के दौरान भी कई योजनाओं को लेकर सवाल उठे थे। इसकी आड़ में भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए गए थे। हालांकि गुजरात के मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद से भाजपा कार्यकर्ताओं में नए जोश का संचार हुआ है... इसके आलावा बीजेपी सत्ता विरोधी लहर का भी फायदे की उम्मीद लगाए बैठी है... हालांकि राजस्थान के लोग इस राजनीतिक दंगल में कम ही दिलचस्पी दिखा रहे हैं... इसे देखते हुए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही अपने स्टार प्रचारकों का सहारा ले रही हैं...अब देखना ये होगा कि ये स्टार प्रचारक दोनों ही पार्टियों के कितने काम आते हैं... 

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