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14/09/2014  
बच्चों को विज्ञान के गलत तथ्य नहीं पढ़ाये जाने चाहिए। - अजय शर्मा
 

लगभग बीस बरस पहले अजय शर्मा ने कहा था न्यूटन, न्यूटन की गति के दूसरे नियम के आविष्कारक नहीं है। लगभग विष्व के 220 देशों में, इस नियम का श्रेय न्यूटन को गलत ढंग से दिया जा रहा है।

       भौतिक विज्ञान एवं गणित के इतिहास के विशेषज्ञों ने अजय के दावे को अर्न्तराष्ट्रीय कान्फ्रैंसों एवं शोध पत्रिकाओं में सही ठहराया है। अजय शर्मा का शोध पत्र इजाक न्यूटन, लियोनहार्ड यूलर एण्ड F=ma सितम्बर 2014 के अंक में फिजिक्स ऐसेज में अमेरिका से प्रकाशीत हो चुका है। यह जरनल अर्न्तराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है क्योंकि एस.सी.आई.ई (थामसन रयूटर) और करंट कन्टैंटस के डाटाबेस में अबसटैक्ट और सम्मिलित होता है। इस तरह अजय के शोध पत्र को वैज्ञानिक मान्यता मिल चुकी है।   

 न्यूटन न मूल रूप से गति का दूसरा नियम सन् 1685 में अपनी पुस्तक प्रिंसीपिया में दिया था। पर इस नियम की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है। न्यूटन की प्रिंसीपिया इंटरनैट पर उपलब्ध है। स्विस वैज्ञानिक लियोनहार्ड यूलर ने सन् 1775 में अपने एक शोधपत्र में F=ma (फोरस=संहति X त्वरण) समीकरण दिया। सन् 1783 में यूलर की मृत्यु हो गई। इसके बाद वैज्ञानिकों ने यूलर के समीकरण पर परिभाषा लिखी । और प्रचार किया कि यह सब न्यूटन ने दिया था। इस तरह यूलर का नियम न्यूटन की गति का दूसरा नियम हो गया। सच्चाई यह है कि न्यूटन की गति का दूसरा नियम मूल रूप में न्यूटन की पुस्तक प्रिंसीपिया के पृष्ठ 19-20 में आज भी मौजूद है। न्यूटन की प्रिंसीपिया इंटरनेट पर उपलब्ध है कोई भी उसे पढ़ सकता है। 

       शर्मा के पेपर का मूल्यांकन एक जरनल के लिए 2013 से हो रहा था। यहां भी एक वर्ष के बाद शोधपत्र प्रकाषन के लिए स्वीकार हो गया और अब प्रकाषित होकर विज्ञान का अभिन्न अंग है।

अजय शर्मा ने तथ्यों को अपनी पुस्तक बियोड न्यूटन एंड आर्किमिडीज में प्रकाषित किया। यह पुस्तक क्रैम्ब्रिज इंग्लैंड से छपी है और अजय की वेबसाइट www.ajayonline.us पर उपलब्ध है।

       जुलाई 2014 में द यूलर सोसायटी वाषिंगटन अमेरिका की वार्षिक कान्फ्रैंस में शोधपत्र प्रस्तुत करने के लिये शर्मा को आमंत्रित किया। शर्मा ने एक घंटे तक व्याख्यान दिया। यूलर सोसायटी के पै्रजिडेंट प्रोफैसर राबर्ट बै्रडली चेयरमैंन डिपार्टमैंट ऑफ मैथेमैटिक्स एवं कम्पयूटर साईंस, यूनिवर्सिटी ऑफ अल्डैफी न्यूयार्क ने अजय के कार्य की प्रशंसा की और सुझाव दिये।

       अब इस शोधपत्र निर्धारित प्रक्रिया के बाद भारत सरकार का मानव संसाधान विकास मंत्रालय स्कूली पाठयक्रम में शामिल किया जा सकता है। आज तक किसी भी भारतीय वैज्ञानिक का कार्य स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल नहीं हुआ है। आजादी के बाद देष लाखों करोड़ रूपया विज्ञान पर खर्च किया है। अजय शर्मा ने कहा मेरा उद्देष्य ही यह है कि यह शोध विष्व भर में पाठ्यक्रम शामिल हो और विश्वभर में भारत का नाम विज्ञान में आकाश को छुए।

       इससे पहले अजय शर्मा आंइस्टीन के समीकरणों एवं आर्किमिडीज सिद्धान्त का संषोधन कर चुके हैं। उनकी पुस्तक बियोड आइंस्टीन एंड F=mc2 अगले महीने प्रकाशीत होने वाली है। 

 

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