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06/10/2014  
सावधान ! मिलावट का खेल हो चुका है शुरू, इलेक्शन की ड्यूटी में व्यस्त है प्रशासन और मिलावटखोर हैं बैखौफ
 

कैथल, 06 अक्तूबर(राजकुमार अग्रवाल): हरियाणा विधानसभा चुनावों की तैयारियों के चलते जहां प्रशासन व्यस्त है और इसी का फायदा उठाकर मिलावट खोर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खेल रहे हैं। जब तक चुनाव परिणाम आएगा और प्रशासन इसकी सुध लेगा तब तक ये मिलावटखोर अपना काम कर चुके होंगे।

इस सबके बीच आम लोगों को ही अपने स्वास्थ्य का ख्याल खुद ही रखना होगा। सीजन के टाइम अब जब मिठाइयों की बिक्री काफी बढ़ जाएगी तो कई ऐसे दुकानदार भी मिठाइयां बनाने लगेंगे जिनका यह काम है ही नहींए और मिलावट का खतरा सबसे ज्यादा इन्हीं लोगों से होता है। वहीं डॉक्टरों के अनुसार मिलावटी मिठाइयां स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचाती हैंए ये पेट खराब तो करती ही हैंए साथ ही कई बार जानलेवा भी साबित होती हैं। इसी के चलते कई लोग अब मिठाइयों से परहेज करने लगे हैं और उपहार में मिठाई की जगह ड्राई फ्रूट का चलन भी बढ़ा है। दीपावली पर मिठाई बनाने वाले गोदामों में मिठाइयों का एडवांस में स्टॉक शुरू कर देते हैं। शहर में मिठाई की 150 से 200 दुकानें हैं। इन दुकानों पर करीब हजारों क्विंटल मावे की मिठाइयों की बिक्री होती है। दीपावली की तैयारियां करीब 10 से 15 दिन पहले शुरू हो जाती हैं। इलेक्शन ड्यूटी में व्यस्त अधिकारियों ने अभी तक दुकानों से कोई सैंपल नहीं लिया है। सैंपल लेने के बाद रिपोर्ट आने में एक महीने तक का समय लग जाता है। ऐसे में जब तक सैंपल आएंगे और कोई कार्रवाई का समय आएगा मिलावट का कारोबार करने वाले माल बेच चुके होंगे।मिलावटी मिठाइयों के चलते लोगों का मोह मिठाइयों से खत्म चुका है। जिसके चलते ज्यादातर लोग रिश्तेदारी में सूखा मेवाए पैकिंग बंद बिस्कुटए चॉकलेट के गिफ्ट पैक और कुरकुरे के डिब्बे देना पसंद करते हैं। 

क्या कहता है स्वास्थ्य विभाग स्वास्थ्य विभाग के फूड इंस्पेक्टर ने बताया कि त्योहार के मौके पर कई दुकानदार ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में बाहर से मिलावटी मावा मंगवाते हैं। यह मावा सिंघाड़े के आटे तथा आलू के मैदे से तैयार किया जाता है। फिलहाल फतेहाबाद शहर में ऐसा केस नहीं पाया गया 

है। ऐसा जरूर होता है कि मिठाइयों को लंबे समय तक चलाने के लिए और आकर्षक बनाने के लिए कुछ मिष्ठान संचालक मिठाइयों पर रासायनिक पदार्थ का प्रयोग करते हैं। मिलावट या गुणवत्ता के मामले में सबसे ज्यादा खतरा दूध से तैयार होने वाली मिठाइयों का रहता है। 

दूध से तैयार होने वाली मिठाइयों का लंबे समय तक स्टॉक करने के कारण उनमें बैक्टीरिया पैदा होने का खतरा बढ़ जाता हैए जो हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। दुकानदारों को चाहिए कि मिठाइयों को यदि दो.तीन पहले स्टाक करना है तो उसे कम तापमान पर रखें। चेकिंग के लिए अभियान चलाया जाएगा। अगर किसी दुकान पर लापरवाही दिखी तो कार्रवाई की जाएगी। 
है दर्जनों रोगों का कारण - एसएमओ 
वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि कुछ दुकानदार मिठाइयों को आकर्षक और रंग.बिरंगी बनाने और उनको खराब होने से बचाने के लिए नकली सामान के साथ रसायनिक पदार्थों का प्रयोग करते हैं। दूध से तैयार मिठाइयों को लंबे समय तक रखने से उनमें बैक्टीरिया पनपने का खतरा बना रहता है। इस तरह की दूषित मिठाइयां खाने से पेट के रोग बढ़ जाते हैं। इसके अलावा मिठाइयों को सजाने के लिए जिन रंगों और केमिकल का प्रयोग किया जाता है उनसे स्किनए लीवर और कैंसर की जैसी बीमारियां बढऩे का खतरा बन जाता है। दिवाली पर दूषित मिठाइयों की बिक्री के मामले ज्यादा बढ़ जाते हैं। इसलिए इससे बचने के लिए ड्राई फ्रूट का प्रयोग करना चाहिए।

क्या कहते हैं दुकानदार, कृष्णा मिष्ठान भंडार ने बताया कि बहुत से दुकानदार ईमानदारी से अपना व्यवसाय करते हैं लेकिन कुछ लोगों के कारण सभी बदनाम होते हैं। दीपावली और मुख्य त्यौहारों के मौके पर कुछ अस्थाई दुकानदार बाजार के चौकों में मिलावट से तैयार की हुई मिठाइयां बेचते हैं और उनके चक्कर में शहर के सभी दुकानदार बदनाम होते हैं। सड़क पर बैठ कर मिठाइयां बेचने वालों के पास न तो लाइसेंस होता है और न ही कोई पक्का ठिकाना ऐसे में ये लोग मुनाफा कमाकर रफूचक्कर हो जाते हैं। प्रशासन को चाहिए कि ऐसे दुकानदारों से सैंपलिंग कर दोषी पाए जाने पर कार्रवाई करें।

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