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19/10/2014  
मुख्यमंत्री ने श्री श्रीनिवास श्रीकांत को आजीवन उपलब्धि पुरस्कार से सम्मानित किया
 

मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह ने हिमालय साहित्य एवं संस्कृति मंच द्वारा आज यहां आयोजित समारोह में सुप्रसिद्ध कवि, आलोचक और साहित्यकार श्री श्रीनिवास श्रीकांत को हिन्दी साहित्य के प्रोत्साहन और संरक्षण करने के लिए आजीवन उपलब्धि पुरस्कार से सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने श्री श्रीनिवास श्रीकांत को इस उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए कहा कि हिन्दी भाषा के संरक्षण में उनकी यह अभूतपूर्व उपलब्धि है।

78 वर्षीय श्री श्रीनिवास हिन्दी साहित्य में आलोचक के रूप में अपनी दृढ़ उपस्थिति दजऱ् करवाई है। उन्होंने अपने लेखन की शुरूआत कविता नियति संकलन से की और उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्हें एक राष्ट्रीय हिन्दी अकादमी रूपंबरा द्वारा आरंभिक लेखन और कविता के माध्यम से मानव और प्रकृति के बीच संबंध को उजागर करने के लिए दिनकर पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इन पुरस्कारों को उन लेखकों, कवियों, इतिहासकारों और साहित्यकारों को समर्पित करते हैं, जिन्होंने अपना सारा जीवन भाषायी बाधाओं के बीच साहित्य के संरक्षण और विकास के लिए समर्पित किया है। उन्होंने कहा कि वह लेखकों के बीच आकर प्रसन्नता महसूस कर रहे हैं और जब भी उन्हें समय मिलता है तो वह पुस्तकें पढ़ते हैं।
श्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि हि.प्र. राज्य कला भाषा एवं संस्कृति अकादमी ने आशाओं के अनुरूप कार्य नहीं किया है तथा राज्य सरकार इसकी गर्वनिंग बाॅडी का पुनर्गठन करेगी और यह सुनिश्चित बनाएगी कि अकादमी संस्कृति तथा साहित्य के विकास और थिएटर गतिविधियों के विस्तार के लिए सुचारू रूप से कार्य करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई भी स्वयं सेवी संस्था जो हमारी संस्कृति भाषा, कला और साहित्य के संरक्षण के लिए कार्य कर रही है, न केवल समाज को प्रेरित करती है, बल्कि पहचान और पुरस्कार की भी पात्र है। उन्होंने हिमालय साहित्य एवं संस्कृति मंच जो हिमालयी क्षेत्र के हिन्दी साहित्य के प्रोत्साहन में योगदान करके मानव और प्रकृति के बीच संबंधों का निर्माण कर रही है, साथ ही सामाजिक मुद्दों को उजागर करने में भी अह्म भूमिका निभा रही है।
राज्य सरकार प्रदेश के लेखकों और इतिहासकारों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और उन्हें और अधिक सुविधाएं देने के प्रयास कर रही है। उन्हाेंने कहा कि भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग को हिमाचली लेखकों के साहित्य को उपयुक्त दामों पर खरीदने के निर्देश दिए गए हैं और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया।      
उन्होंने कहा कि सरकार ने गेयटी थिएटर के पुनर्निर्माण किया है, जिससे अब यह बहुसांस्कृतिक गतिविधियों के हब के रूप में उभरा है और सरकार हिमाचली कवियों और लेखकों की समस्याओं को लेकर गंभीर है।
मुख्यमंत्री ने श्री श्रीकांत द्वारा रचित कविता संग्रह आदमी की दुनिया का दिन और कथा त्रिकोण शीर्षक की आलोचनात्मक विश्लेषण पुस्तक, जिन्हें लेखक ने उनकी पत्नी श्रीमती निर्मला देवी को समर्पित किया है, का विमोचन भी किया। श्री तेजन्द्र शर्मा, जो लंदन में रहते हैं, श्रीमती मनीषा कुलश्रेष्ठ और श्री एस.आर. हरनोट ने इस पुस्तक में अपने लेखों का योगदान दिया है।
श्री श्रीनिवास श्रीकांत ने इस अवसर पर मानव और प्रकृति के बीच गहन संबंध को अपनी ग़जलों और कविताओं के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
प्रसिद्ध लेखक और साहित्यकार श्री गौरी नाथ ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखें।
डाॅ. हेमराज कौशिक, श्रीमती सरोज वशिष्ठ, श्री सुरेश सैन, सभी कवियों, लेखकों और साहित्यकारों ने श्री श्रीनिवास श्रीकांत को बधाई दी और अपने विचार रखे।
श्रीमती देवकन्या ने श्री श्रीनिवास श्रीकांत की कविता संग्रह आदमी की दुनिया का दिन से पहली दो कविताओं को पढ़ा।
प्रख्यात लेखक और कवि श्री सुदर्शन वशिष्ठ ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे। नेपाली इतिहासकार और साहित्यकार श्री जगदीश राणा ने कथा त्रिकोण पुस्तक पर अपने विचार रखे और श्री श्रीनिवास श्रीकांत को आजीवन उपलब्धि पुरस्कार के लिए बधाई दी।
इससे पूर्व, हिमालय साहित्य एवं संस्कृति मंच के अध्यक्ष श्री एस.आर. हरनोट ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया और श्री श्रीनिवास श्रीकांत की हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।
 

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