27/11/2014 |
बच्चों के विकास के लिए शिक्षा, खेलकूद और मनोरंजन |
बच्चे देश की संपति हैं। वे भारत के भावी नागरिक हैं। देश के मानव संसाधन विकास के लिए बच्चों में निवेश मददगार है। एक खुशहाल बच्चा अपने घर और देश को खुशहाल बनायेगा। किसी भी देश का भविष्य बच्चे के उचित लालन-पालन पर निर्भर करता है। इसके लिए
सौहार्द्धपूर्ण
माहौल तथा बच्चे
के संपूर्ण
विकास के लिए
उचित अवसरों
का होना
आवश्यक है। विश्व
के बच्चों की
दशा शीर्षक से
यूनिसेफ की 2013
की रिपोर्ट के
अनुसार विश्व
की एक तिहाई
बच्चों के लिए
रहने की पर्याप्त
जगह नहीं है, 31
प्रतिशत
बच्चों में
बुनियादी
स्वच्छता का
अभाव है और 21
प्रतिशत बच्चों
को शुद्ध
पेयजल उपलब्ध
नहीं होता। जब
बच्चों के लिए
सर्वाधिक
बुनियादी
सुरक्षा नहीं
होती तो उनमें
बीमारी होती
है, कुपोषण
होता है और
समय से पहले
उनकी मृत्यु
हो जाती है।
बच्चों को
मनोरंजन का
अधिकार है और
उनका लालन-पालन
स्वस्थ्य
माहौल में
होना चाहिए।
स्कूल
प्रकृति से
बच्चों के
सरोकार को
बढ़ावा देने
तथा उन्हें
स्कूल एवं घर
से बाहर के
अनुभवों के
लिए स्कूल
यात्रा
कार्यक्रमों
को आयोजित
करेंगे।
स्कूली
बच्चों को
विज्ञान और
टेक्नोलॉजी
के प्रति
जागरूक बनाने
के लिए उन्हें
विज्ञान
संग्राहालयों
में ले जाया
जाएगा। गोवा
में बाल
अदालतें हैं। विश्व
स्तर पर
बच्चों के
मानव
अधिकारों की
रक्षा के लिए
बाल अधिकारों
पर संयुक्त
राष्ट्र समझौता,
यूनिसेफ आदि
की व्यवस्था
है। भारत ने बच्चों
की सुरक्षा के
लिए
संवैधानिक
अधिकार दिया
है और अनेक कानून
बनाये हैं।
किशोर न्याय
ऐसा एक पहलू
है। बच्चों पर
राष्ट्रीय
नीति, एकीकृत
बाल सुरक्षा
योजना, बाल
अधिकारों की
रक्षा के लिए
राष्ट्रीय
आयोग, बाल
श्रम निषेध,
बाल फिल्म
सोसायटी की
स्थापना भारत
का
अंतर्राष्ट्रीय
बाल फिल्म
समारोह आयोजन,
राष्ट्रीय
बाल भावन जैसे
कदम बच्चों की
भलाई के लिए
उठाए गये हैं।
बच्चों के
स्वास्थ्य और
मनोरंजन को
बढ़ावा देने
के लिए पार्क,
बच्चों की
खेलकूद
व्यवस्था तथा
फिल्में
आवश्यक हैं।
बच्चों के
वास्ते नीतियां
बनाने के लिए
बच्चों की
मनोदशा को
समझना आवश्यक
है। भारत के
राष्ट्रपति
बहादुर बच्चों
के
प्रोत्साहन
के लिए बाल
पुरस्कार
देते हैं। देश
में प्रत्येक
वर्ष 14 नवम्बर
को बाल दिवस
मनाया जाता
है। बच्चों के
मानवाधिकार विशेष
सुरक्षा
अधिकारों पर
खास ध्यान एवं
अवयस्कों की
देखभाल के साथ
सभी मानव
अधिकार बच्चों
के भी मानव
अधिकार हैं।
इसमें माता
पिता के साथ
संबंध, मानवीय
सम्मान तथा
खाद्य की बुनियादी
आवश्यकता,
सार्वभौमिक
शिक्षा, स्वास्थ्य
देखभाल,
बच्चों की आयु
के अनुसार
आपराधिक
कानून तथा
बच्चों के
नागरिक
अधिकारों और
बच्चों के
नस्ल, लिंग,
यौन निर्धारण,
लैंगिक पहचान,
राष्ट्रीय
मूल, धर्म,
अशक्तता, रंग, जाति,
और अन्य
विशेषताएं
शामिल हैं। बच्चों के
संवैधानिक
अधिकार भारतीय
संविधान की
प्रस्तावना
में कहा गया है
कि बच्चों
सहित सभी
नागरिकों के
लिए न्याय, स्वतंत्रता,
समानता और
भाईचारा
संविधान का मौलिक
दर्शन है।
संविधान के
अनुच्छेद 14 के
अनुसार
प्रत्येक
व्यक्ति कानून
के समक्ष
बराबर है और
सभी को समान
कानूनी
सुरक्षा है।
यह अधिकार
बच्चों सहित
सभी को मिला
है। बाल
अधिकारों पर
संयुक्त
राष्ट्र
समझौता (सीआरसी
1989) बाल
अधिकारों पर
संयुक्त
राष्ट्र
समझौता (सीआरसी
1989) बच्चों को
जीवित रहने और
विकास, विचार
अभिव्यक्ति
की स्वतंत्रता
तथा सुरक्षा
का अधिकार
देता है। समझौते
के मुताबिक
सीआरसी पर
हस्ताक्षर
करने वाले सभी
देशों का यह
कर्तव्य है कि
वे बच्चों को
निःशुल्क और
आवश्यक
प्राथमिक
शिक्षा प्रदान
करे। यूनिसेफ संयुक्त
राष्ट्र बाल
कोष (यूनिसेफ)
विकासशील देशों
में बच्चों और
माताओं को
मानवीय और
विकास सहायता
देता है।
यूनिसेफ के
कार्यक्रम
समुदाय स्तर
पर सेवाओं को
विकसित करके
बच्चों के
स्वास्थ्य और
खुशहाली को बढ़ावा
देते हैं। बच्चों की
सुरक्षा के
लिए कानून भारत की
संसद ने देश
में बच्चों की
सुरक्षा के
लिए अनेक
कानून बनाये
हैं। इनमें बाल
यौन अपराध
सुरक्षा
कानून 2012 का
पारित किया जाना
भी शामिल हैं।
बच्चों की
शिक्षा पर जोर
देते हुए संसद
ने शिक्षा का
अधिकार कानून
भी बनाया है। भारत में
किशोर
न्यायालय भारत में
किशोर न्याय
की परिकल्पना
बच्चों से
निपटने के लिए
वैकल्पिक
कानूनी
प्रणाली की आवश्यकता
समझते हुए की
गई थी। अनेक
संशोधनों के जरिए
किशोर न्याय
अधिनियम को
बच्चों के
अनुकूल बनाया
गया है। भारत
द्वारा बाल
अधिकार पर संयुक्त
राष्ट्र
समझौते की
पुष्टि भी की
गई है। राष्ट्रीय
नीति भारत सरकार
ने बच्चों के
लिए
राष्ट्रीय
नीति के तहत
व्यापक
स्वास्थ्य
कार्यक्रम
माताओं और
बच्चों के लिए
पूरक पोषाहार
और 14 वर्ष तक की
आयु के सभी
बच्चो के लिए
आवश्यक
शिक्षा जैसी
अनेक
सिफारिशें की
गई हैं। अन्य पहल भारत में
बच्चों के लिए
देशी और विशेष
सिनेमा पर
निरंतर ध्यान
दिया जाता रहा
है। बाल फिल्म
सोसायटी भी
बनी है, भारत
का
अंतर्राष्ट्रीय
बाल फिल्म
समारोह भी आयोजित
किया जाता है।
देश में
बच्चों के
संस्थागत
समर्थन भी
दिया गया है।
राष्ट्रीय
बाल भवन ऐसा
ही संस्थान
है। यह
संस्थान
विभिन्न
गतिविधियों
के माध्यम से
बच्चे की सृजन
क्षमता को बढ़ावा
देता है। |
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