28/11/2014 |
इंद्रप्रस्थ प्रेस क्लब ऑफ इंडिया द्वारा रक्तदान, नेत्रदान, अंगदान अभियान की 2 दिसम्बर से |
देश के मीडियाकर्मियों के शीर्ष संगठन इंद्रप्रस्थ क्लब ऑफ इण्डिया 2 दिसम्बर, 2014 को नई दिल्ली में महादान कैम्प का आयोजन कर रहा है । ये कैम्प आई.टी.ओ. स्थित चंद्रशेखर भवन, निकट हिन्दी भवन में सुबह 10:00 बजे से दोपहर 3:00 बजे तक चलेगा । इस महादान कैम्प में मीडियाकर्मी सुरक्षित रक्तदान करेंगे एवं नेत्रदान व अंगदान की शपथ लेंगे । ये कैम्प स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य कर रही एक संस्था प्रिवेंटिव हेल्थ स्क्रीनिंग प्रोग्राम,(पीएचएसपी) के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है । ये संस्था कैम्प में रक्तदान एवं अंगदान और नेत्रदान की शपथ लेने वाले मीडियाकर्मियों का एक डाटा भी तैयार करेगी । जिसे वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जायेगा । आई.पी.क्लब की उपाध्यक्ष
केनू अग्रवाल एवं संतोश सूर्यवंशी ने बताया कि स्वास्थ्य सेवाओं में अपना
अभूतपूर्व योगदान देने के लिए ऐम्स के आॅरगन रिटरिवल इेकिंग आॅर्गनीईजेशन की
इंचार्ज डा. अनीता विज, रेड क्रास सोसायटी ऑफ इंडिया की डायरेक्टर व
प्रोग्राम इंचार्ज डा. वंश्री सिंह, हेड ऑफ डिपार्टमेंट बल्ड
बैंक आर.एम.एल अस्पताल डा. वीना डोडा, आई बैंक गुरूनानक आई
सेंटर की इंचार्ज डायरेक्टर प्रो. रितु अरोड़ा, रिहेबिलियेशन सुप्रिटेंडेंट
व सीनियर फेकल्टी दीन दयाल उपाध्याय विकलांग जन संगठन डा. ललित नारायण, सीनियर प्लास्टिक सर्जन बर्नस प्लास्टिक व मेक्सिलोफेषियल एल.एन.जे.पी अस्पताल
डा. पी.एस. भंडारी,
प्रिवेन्टिव हेल्थ स्क्रिनिंग प्रोग्राम से
रोहित अग्रवाल, डा. मनप्रीत ओबेराय, महादान अभियान के
प्रमोटर्स श्री एच.एन. शर्मा सामाज सुधारक व दिल्ली न्यूज़ ऐजेन्सी की सी.ई.ओ
श्रीमती मोनिषा भाटिया पंवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. जितेन्द्र
पटेल, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डा. नरेन्द्र सैनी, दिल्ली मेडिकल काउंसिल के सदस्य डा. अनिल अग्रवाल, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. अनिल गोयल, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डा. एस.के. पोद्दार, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के वरिश्ट उपाध्यक्ष डा. के.के अग्रवाल, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डा. विनय अग्रवाल, नेशनल मेडिकल फोरम के अध्यक्ष डा. प्रेम अग्रवाल, दिल्ली मेडिकल काउंसिल के सदस्य डा. हरीश गुप्ता, दिल्ली मेडिकल काउंसिल के रजिस्टर्र डा. गिरीश त्यागी, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व सचिव डा. के.के. कोहली सम्मानित करेंगे। आई.पी.क्लब की उपाध्यक्ष
केनू अग्रवाल एवं संतोश सूर्यवंशी के मुताबिक हमारे समाज में सभी धर्मों, संप्रदायों और समाजों में दान की प्रेरणा दी गई है । अपने अपने धर्मों से
जुड़े लोग समय समय पर किसी न किसी तरीके से दान कार्यों में षामिल होते रहते हैं ।
लेकिन सभी धर्मों में तीन तरह के दानों को महादान बताया जाता है । ये महादान
रक्तदान, नेत्रदान और अंगदान हैं । इनमें रक्तदान जीवित अवस्था में
किया जा सकता है और अन्य दो दान मृत्यू के पश्चात मृतक की इच्छा के अनुसार परिवार
के सदस्य पूरा करते हैं । मीडियाकर्मी भी समाज का एक अभिन्न हिस्सा है । हम लोग
समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियां कलम और कैमरे के जरिये तो पूरी करते ही हैं, साथ ही हम इस महादान अभियान में षामिल होकर समाज और अपनी फ्रैटरनिटी के प्रति
भी एक अहम और बडी जिम्मेदारी पूर्ण करने की भूमिका अदा कर सकते हैं । आइए, हम सब अपने परिवार के साथ इस महाअभियान में षामिल हों । इस महादान में हम किस
तरह से षामिल हो सकते हैं, उसकी एक विस्तृत जानकारी
हम आपके समक्ष रख रहे हैं । आई.पी.क्लब के सचिव मनु शर्मा के अनुसार भारत में करीब 11 लाख नेत्रहीन हैं, जो नेत्रदान के जरिए अपनी आंखों की रोशनी
प्राप्त कर दुनिया को देख सकते हैं । इनमें से करीब 25 हजार ने तो विभिन्न सेंटरों में कोर्निया को प्राप्त करने का रजिस्ट्रेशन भी करवाया हुआ है । डाक्टरों के अनुसार 60 वर्श से नीचे की
आयु का व्यक्ति नेत्रदान कर सकता है । दानकर्ता चश्मा लगाता हो, या फिर उसकी आंख का आप्रेशन हो चुका हो। आंखें छह घंटे के भीतर ही मृत शरीर से
निकल जानी चाहिए । मृत शरीर से आंखें निकालने में 10 से 15 मिनट लगते हैं । नेत्र बैंक या फिर हमारी
संस्था के किसी भी
प्रतिनिधि को सूचित किया जा सकता है । नेत्र बैंक के डाक्टर स्वयं मृतक के घर या
फिर अस्पताल जाते हैं । नेत्रदान करने वाले का कोई खर्चा भी नहीं आता है । दान में
प्राप्त हुई आंख से दो नेत्रहीन व्यक्ति देख सकते हैं । नेत्र खरीद नहीं सकते हैं
। ये एक तरह से पूर्ण दान है । आई.पी.क्लब के वरिश्ठ उपाध्यक्ष शिवेंद्र एवं कोशाध्यक्ष नरेश गुप्ता के
अनुसार दिल्ली में प्रतिवर्श 5 लाख यूनिट रक्त की
आवष्यकता होती है । मांग और पूर्ति में भारी अंतर हैं । इस अंतर को पाटने का एक
मात्र उपाय है कि समाज का प्रत्येक व्यक्ति रक्तदान को अपना नैतिक कर्तव्य समझे ।
यदि हम स्वस्थ हैं और हमारा वजन 45 किलोग्राम या फिर उससे
ज्यादा है और आयु 18 वर्श से 60 साल के बीच है, तो हम रक्तदान कर सकते हैं । रक्तदान से शरीर पर कोई भी विपरीत प्रभाव नहीं
पड़ता है । रक्तदान के फौरन बाद हम अपनी दिनचर्या को पहले की तरह षुरू कर सकते हैं
। जो रक्त हम दान करते हैं, वो शरीर बहुत कम समय में
सिर्फ 48 घंटे में पूरा कर लेता है । तीन माह के बाद हम फिर से
रक्तदान कर सकते हैं । रक्तदान की प्रक्रिया में 15 से 20 मिनट लगते हैं । रक्तदान की प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले उपकरण दोबारा
इस्तेमाल नहीं किए जाते हैं । हमारा थोड़ा सा समय किसी को जीवन दे सकता है । आइए
इस महाअभियान में षामिल हों । अंगदान का मतलब अपने अंगों के जरिए किसी को जीवन का एक अमूल्य तोहफा देना है ।
अंगदान वही कर सकता है, जिसका मस्तिश्क कार्य करना बंद कर देता है ।
मेडिकल भाशा में इसे ब्रेनडेथ बोलते हैं । ब्रेनडेथ में मस्तिश्क कार्य करना बंद
कर देता है, लेकिन शरीर के अंगों में आक्सीजन जा रहा होता है । दानकर्ता
का हृदय, लंग्स, किडनी और लीवर दान में
लिया जा सकता है । उसके लिए विषेश डाक्टरों की टीम फैसला लेती है कि मृतक के शरीर
से कौन सा अंग दान में लिया जाए । अंगदान सिर्फ अस्पताल में ही संभव है । दिल्ली
में सिर्फ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में आर्गेन ट्रांसप्लांट संभव है । जीते जी रक्तदान और
मृत्यू के बाद नेत्र व अंगदान । |
Click here for more interviews |
Back |