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13/12/2014  
कैब रेप ने एक बार फिर याद दिलाई दिसंबर की 'वो काली रात
 

देश को हिला कर रख देने वाला निर्भया बलात्कार कांड के ठीक दो साल बाद एक फिर राजधानी दिल्ली शर्मसार हो गई। अयोध्या के विवादित ढांचा गिराए जाने की बरसी व आतंकी धमकी के मद्देनजर राजधानी को हाई अलर्ट से घोषित किया गया था उसी हाईअलर्ट के बीच कैब चालक ने बलात्कार की घटना को बखूबी अंजाम दिया।

उससे न केवल पुलिसिया हाई अलर्ट की पोल खुल गई बल्कि दो साल पहले दिसंबर माह में ही धटित हुई निर्भया बलात्कार कांड एक बार फिर देश के लोगों के जेहन ताजा हो गई। दिसंबर की वो काली रात एक फिर दोहर गई और राजधानी की स्मार्ट पुलिस देखती रह गई। 16 दिसंबर 2012 की रात में जिस वक्त पांच वहसी दरिंदों द्वारा निर्भया बलात्कार कांड को अंजाम दिया गया ठीक उसी तरह गुडग़ांव के बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करने वाली लडक़ी के साथ भी विभत्स बलात्कार कांड को अंजाम दिया गया। दोनों बलात्कार कांड की तारीख में भले ही अंतर हो लेकिन इलाका, समय और रात में घर जाने का दौरान का क्रम बिलकुल एक जैसा है। निर्भया बलात्कार कांड के दौरान राजपथ पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था। उसके बाद दिल्ली विधानसभा का चुनाव हुआ और कांग्रेस को उसका खामियाजा भुगतना पड़ा। इस वक्त भी दिल्ली विधानसभा चुनाव सिर पर है और जिस तरह से दक्षिणी दिल्ली के पॉश इलाके में बलात्कार की घटना को अंजाम दिया दिया गया उससे मोदी सरकार को घेरने का कोई भी मौका आम आदमी पार्टी और कांग्रेस हाथ से जाने नहीं दे रहे हैं। 

5 दिसंबर की रात हाईप्रोफाइल कैब कंपनी उबर के चालक ने शुक्रवार देर रात उत्तरी जिले में सुनसान जगह पर कैब रोककर उसमें सवार 25 साल की युवती से दुष्कर्म कर दिया। युवती के विरोध जताने पर दरिंदे ने उसके चेहरे व गले को नोंच डाला और पेट में सरिया डालकर मार डालने की धमकी दी। यह सब कुछ उस हाई अलर्ट शहर दिल्ली में घटित हुई जहां पर सिर्फ हाई अलर्ट कर पुलिस अपने कर्तव्यों की इति श्री कर लेती है। युवती गुडग़ांव के एक फाइनेंस कंपनी में एनालिस्ट की नौकरी करती है। सराय रोहिल्ला थाना पुलिस ने अज्ञात कैब चालक के खिलाफ कई धाराओं में मामला दर्ज कर भले ही आरोपी शिव कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया हो लेकिन सबसे हैरानी की बात यह है कि अमेरिकन कंपनी उबर बिना किसी पंजीकरण के आखिर दिल्ली और एनसीआर जैसी जगह पर कैब कैसे संचालित कर रही थी? पुलिस को क्या किसी बड़ी घटना के होने का इंतजार था? आखिर दिल्ली पुलिस एक के बाद एक बलात्कार की घटनाओं के बाद चौकन्नी क्यों नहीं रहती है?
बलात्कार पीडि़त 25 साल की युवती सराय रोहिल्ला के इंद्रलोक में अपनी मां के साथ रहती है। वह माता-पिता की इकलौती संतान है। उसके पिता जापान में एक कंपनी में मैनेजर हैं। बेटी की शादी के सिलसिले में वह हाल ही में दिल्ली आए हैं और आते ही बेटी के साथ इतनी बड़ी घटना घट गई। युवती विदेश से एमकॉम करने के बाद गुडग़ांव की फाइनेंस कंपनी अर्न स्टोंग यूनीटेक इंफो स्पेस में तीन साल से बतौर एनालिस्ट नौकरी करती है। कंपनी गुडग़ांव के सेक्टर-21 में है। उसकी ड्यूटी रोज सुबह 10.30 बजे से शाम सात बजे तक होती है। ऑफिस कैब उसे लेने के लिए घर आती है व रात को छोड़ती भी थी लेकिन घटना वाले दिन शाम सात बजे ऑफिस से छुट्टी होने पर वह कुछ दोस्तों के साथ उनकी कार से पार्टी के लिए वसंत विहार आ गई। वहां होटल में पीडि़त युवती समेत सभी ने शराब पी और खाना खाया। उसके बाद युवती ने मोबाइल एप से उबर कैब का नंबर निकाल अपने लिए कैब मंगवा ली। सभी वहीं से अपने अपने घर चले गए जबकि युवती उबर कैब से रात करीब 9.30 बजे घर के लिए निकल पड़ी। कैब चालक ने अपना नाम गौरव बताया था। कैब में बैठते ही युवती की आंख लग गई। उत्तरी जिले में एक सुनसान जगह पर ले जाकर चालक ने जब युवती के साथ छेड़खानी शुरू की तब उसकी नींद खुल गई। विरोध जताने पर चालक ने उसके साथ मारपीट की, गला दबाकर मार डालने की धमकी दी। फिर भी वह शोर मचाती रही। जब उसने सरिया दिखाकर पेट में डालने की धमकी दी तब वह डर गई। उसके बाद दरिंदे ने उसके साथ कैब में दुष्कर्म किया।
कैब में दुष्कर्म के बाद चालक ने युवती को इंद्रलोक स्थित घर तक छोड़ भी दिया। लेकिन उससे पूर्व दरिंदे चालक ने युवती का मोबाइल लेकर उससे अपने मोबाइल पर मिस कॉल मार लिया। ऐसा करने से युवती का नंबर उसके पास आ गया। ऐसा उसने क्यों किया पुलिस को यह बात समझ में नहीं आ रही है। रात करीब 10.15 बजे घर के पास छोड़ते ही युवती ने अपने मोबाइल से कैब की फोटो खींच ली, जिसमें उसका नंबर डीएस 1 वाईबी-7910 नंबर आ गया। उसके बाद उसने सडक़ पर खड़े होकर अपने मंगेतर के नंबर पर एसएमएस भेजा और बताया कि उसके साथ दुष्कर्म हो गया। लेकिन गलती से वह मैसेज दरिंदे चालक के मोबाइल पर चला गया। जिससे तुरंत उसने युवती को फोन कर धमकी दी अगर उसने आपबीती किसी को बताई तब वह उसे जान से मार डालेगा। दरअसल युवती की उसके मंगेतर से ही अंतिम बार बात हुई थी इसलिए उसने यह सोचकर सबसे ऊपर के नंबर पर एसएमएस भेजा कि वह मंगेतर का नंबर है लेकिन युवती को उतारने से पूर्व चालक ने उसके मोबाइल से अपने मोबाइल पर मिस कॉल मार लिया था इसलिए एसएमएस गलती से चालक के पास चला गया। धमकी देने के बाद युवती ने 100 नंबर पर कॉल कर पुलिस से शिकायत कर दी।
चिकित्सकीय जांच में डाक्टरों ने बरती लापरवाही
युवती का देर रात ही बाड़ा हिंदूराव अस्पताल में चिकित्सीय जांच कराई गई। जांच रिपोर्ट में डाक्टरों ने पूरी बात नहीं लिखी। दुष्कर्म का भी स्पष्ट उल्लेख नहीं किया। गले व चेहरे पर खरोंच के निशान थे। दर्द से युवती परेशान हो रही थी। लेकिन डाक्टरों ने दवा लेने तक की सलाह नहीं दी। जबकि स्वास्थ विभाग के मापदंड के मुताबिक दुष्कर्म पीडि़त का मेडिकल करने के दौरान हर उन तथ्यों का विस्तृत जिक्र होना चाहिए पीडि़त की जैसी हालत रहती है। मेडिकल में युवती के शराब पीने की पुष्टि हुई है।
महिला आयोग की अधिवक्ता ने किया काउंसिलिंग
पहले तो युवती रिश्ता टूटने के डर व मंगेतर के डर से शिकायत करने के लिए तैयार नहीं हो रही थी। लेकिन आला अधिकारी ने जब महिला आयोग की अधिवक्ता सुब्रा मेंहदीरत्ता से घंटों काउंसिलिंग कराया तब वह शिकायत दर्ज कराने के लिए तैयार हो गई।
इस तरह की घटनाओं को रोक पाना नामुमकिन है: टीआर कक्कड़
दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त टीआर कक्कड़ ने 'जिया इंडिया से विशेष बातचीत में कहा कि किसी भी घटना को खासकर बलात्कार की घटनाओं को रोक पाना नामुमकिन है। किसी भी घटना के लिए सिर्फ पुलिस को कठघरे में खड़ा कर देने से कुछ नहीं होगा। हाई अलर्ट से आप लोग क्या अर्थ निकालते हैं कि पुलिस हर 10 गज की दूरी पर खड़ा रहे। इसका मतलब यह होता है कि पुलिस सतर्क रहे और पेट्रोलिंग बढ़ा दे। इससे यह बिलकुल भी अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए कि बलात्कार की घटनाएं रूक जाएंगी। कुछ लोगों का भी दायित्व है। हालांकि लोगों और लड़कियों को कुछ लोकतांत्रिक अधिकार हैं इसका मतलब यह है कि वे बेलगाम हो जाएं। उन्होंने कहा कि ठीक है कि हम लोकतांत्रिक अधिकारों पर पाबंदी नहीं लगा सकते हैं लेकिन खुद सतर्क तो हो सकते हैं। लडक़ी ने टैक्सी बुक ली उसमें बैठी और सो गई। वह ड्राइवर मानसिक विक्षिप्त था, क्योंकि इससे पहले वह दिल्ली और उत्तर प्रदेश में इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे चुका था। फिर इतने गंभीर मसले में कोर्ट ने आरोपी को जमानत क्यों दी? क्या कोर्ट का कोई दायित्व नहीं बनता है? बलात्कार जैसी घटनाओं को मानसिक तौर विक्षिप्त व्यक्ति ही दे सकता है। ड्राइवर भी इसी श्रेणी का हिस्सा था। उसने देखा मौका अच्छा और सुनसान जगह है उसने 10 मिनट में योजना बनाई और बलात्कार कर दिया। ऐसी घटना में पुलिस को कठघरे में खड़ा नहीं किया जा सकता है। घटना के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। हां यह जरूर है कि पुलिस की तत्परता और डर से ऐसी घटनाओं पर कुछ हद तक लगाम लग सकता है लेकिन यह कहना कि ऐसी घटनाएं नहीं होंगी, यह कहना बिलकुल गलत है। सबको मालूम है हत्या में फांसी होती है तो हत्या की घटनाएं पूरी तरह से बंद तो नहीं हो गई। यह मामला सीधे सामाजिक ताने बाने से जुड़ा हुआ है। माता-पिता को अपने बच्चों को कुछ संस्कार की शिक्षा देनी होगी। आज कल तो बाप अपनी बेटी से और नजदीकी रिश्तेदार घर के अंदर बलात्कार की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। इस घटना को हमें नैतिक पतन के रूप में देखना चाहिए। जहां पर इस तरह की घटना पर पत्थर मारने का कानून है वहां भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं। हमें अपनी मानसिक सोंच बदलने की जरूरत है। हमें पुलिस पर भी एक सवाल करना चाहिए कि क्या इस वारदात को पुलिस रोक सकती थी?
सरकार और पुलिस की नाकामी सामने आई: शबनम खान
मानव अधिकार कार्यकर्ता शबनम खान ने कहा कि मोदी सरकार महिलाओं की सुरक्षा के बारे में बड़ी-बड़ी बातें करती है और सरकार में आने से पहले भी इस मुद्दे पर वह जनता की भावनाओं के साथ खेलते थे। अब कहां गया 56 इंच का सीना जिससे वे महिलाओं की इफाजत कर सके। जब लडक़ी दिल्ली में कैब के अंदर भी सुरक्षित नहीं है तो उसकी सुरक्षा कहां होगी। पुलिस-प्रशासन को और अधिक संवेदनशील होने के साथ-साथ मजबूत बनना होगा। महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीरता से योजना बनानी हो

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