23/12/2014 |
कार्पोरेट सीधे मोदी को निर्देश देकर अपने काम करवा रहे हैं मेधा पाटकर |
देश का इस हद तक कॉर्पोरेटाइजेशन हो चुका है कि भूमि हस्तांतरण और पर्यावरण जैसे गंभीर मसले पर इन्हें सरकार से इजाज़त लेने की कोई ज़रूरत नहीं है। हमारी संसद जहां धर्मांतरण के मुद्दे पर बाधित हैं, वहीं पूंजीपतियों के हितों के क़ानून संसद में बड़ी आसानी से पास किये जा रहे हैं. हालांकि यहां हमें पूरी
सफलता नहीं मिल पायी है, क्योंकि टाटा ने अपना उद्योग
गुजरात में हस्तांत्रित कर दिया जहां सरदार सरोवर बांध से प्रतिदिन 60 लाख
लीटर पानी इस कार फैक्ट्री को दिया जा रहा है। गुजरात से सानंद में कोका कोला
कंपनी को प्रति दिन 30 लाख लीटर पानी दिया जाता है।
वहीं दूसरी तरफ झुग्गी बस्तियों और सार्वजनिक स्थानों से नल गायब किये जा रहे
हैं, ताकि लोग बोतल का पानी खरीदने के लिए मजबूर हो। मंच
पर बिसलेरी की बोतल की ओर इशारा करते हुए मेधा पाटकर ने आगे कहा कि कम से कम जब तक
संभव हो सके हमें कॉर्पोरेट के उत्पादों के इस्तेमाल से बचना चाहिए। कार्यक्रम के आरम्भ में
अध्यक्षता कर रहे जेएनयू
के प्रोफ़ेसर सुरेन्द्र जोधका ने कहा कि आज
लोकतंत्र खतरे में है. इस बात की ओर डॉ. अंबेडकर
पहले ही इशारा कर चुके थे। और इसीलिए उन्होंने कहा था कि हम केवल संवैधानिक रूप से लोकतंत्र है परन्तु
हमारे देश में सामाजिक लोकतंत्र का अभाव
है। कार्यक्रम में शरीक हुए प्रख्यात समाजशास्त्री
आशीस नंदी ने कहा कि इस कॉर्पोरेट के जाल से बचना इसलिए कठिन है, Click here for more interviews |
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