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28/01/2015  
महिला सुरक्षा पर छात्रा की कलम से लेख
 

उत्तरी पूर्वी दिल्ली के डीसीपी आर ए संजीव ने बच्चों की मानसिकता जानने के लिए एक बड़ा कदम उठाया, उन्होंने सर्वोदय बालिका विद्यालय, हर्ष विहार में एक निबंध प्रतियोगिता कराई, जिसमें से एक स्कूल की बालिका नाज़रा ने महिलाओं की सुरक्षा पर एक लेख लिखा.आईए नज़र डालते हैं उनकी सोच पर

महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार विशेष रुप से जोर दे रही है। सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान द्वारा महिलाओं की सुरक्षा की जा रही हैं। पहले समय में नारी की सुरक्षा पर विशेष ध्यान नही दिया जाता था लेकिन जब से भारत में महिला हिंसा दिन � प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, उससे देश को जागरुक होने की ज्यादा आवश्यकता है। हर देश नागरिक को नारी का सम्मान करना चाहिए नारी ही देश को आगे बढ़ाने में सफल रही हैं। हमारे देश को हर तरह से नारी को सपोर्ट करना चाहिए अगर पुरुष बाहर काम कर सकता है, तो नारी भी बाहर काम कर सकती हैं। इस पर कोई रोक नहीं होना चाहिए। आज-कल महिला पुरुष के कंधे से कंधे मिलाकर चलती है।  महिलाओं को पूरा हक है कि वह भी पुरुष के समान चल सके, लेकिन कुछ लोगों की सोच ने नारी को आगे बढ़ने पर बेन लगा रखा हैं।

महिला सुरक्षा के लिए पुलिस को भी जागरूक होने की आवश्यकता हैं। भारत जैसे देश में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, देहेज प्रथा, बलात्कार, घरेलु हिंसा आदि होते रहते हैं। यहां तक कि पुलिस को इसकी खबर भी मिल जाती है, लेकिन कुछ पुलिस इस मामले को आगे न बढ़ाकर अपराधियों को सजा न देकर बात को यही खत्म कर देते हैं और इससे महिला को न्याय भी नहीं मिल पाता है और अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ते रहते हैं, लेकिन कहीं- कहीं पुलिस इस मामले की तहत तक आगे पहुंचते है जिससे महिला को न्याय भी मिल जाता है और आगे अत्याचार का होना भी कम हो जाता है। हमारे देश में ऐसे पुलिस का होना बहुत आवश्यक है जो इस महिला अत्याचार को रोक सकें। इसीलिए देश में नारी पुलिस का भी होना जरुरी हैं ताकि वे खुद अपनी रक्षा स्वंय कर सकें और दूसरी महिला की रक्षा भी कर सकें।

महिलाओँ को सशक्त रुप से जागरुक करने के लिए  अनेक संस्थान चलाए जा रहे हैं, जैसे की जी. आर. सी(जेंडर रिसोर्स सेंटर), एन.सी. सी. के द्वारा भी महिला को अपनी सुरक्षा खुद करने तरकीब बताई जाती हैं। सेल्फ डिफेंस(Self Defense)  के द्वारा भी महिलाओं की अपनी सुरक्षआ पर विशेष बल दिया जाता है, जिससे महिला अपनी सुरक्षा कर सकें। महिला को जरुरत पड़ने पर किसी की आवश्यकता महसूस न हो। सेल्फ डिफेंस सरकार द्वारा चलाए जा रहे हर स्कूल कॉलेजों में कराया जाता हैं ताकि जब भी कोई अचानक समस्या बाहर जाते समय या घरेलु हिंसा हो तो महिला अपनी सुरक्षा खुद कर सकें। महिला को अपनी आवाज उठाने का भी पूरा हक हैं।

अगर हम महिला की सुरक्षा पर विशेष बल देंगे तो इससे हिंसा पर रोक लगेगी। हमारे देश को महिला पर हो रहे हिंसा  पर रोक लगाना चाहिए, सरकार को हिंसा को रोकने के लिए विशेष जोर देना चाहिए, जिससे कि महिला हिंसा कम हो सकें और महिला अपनी आजादी को पूरी तरह जी सकें। महिलाओं को घरों में मारा � पीटा जाता है, उससे जबरदस्ती काम कराया जाता है, अगर वो किसी से बात भी करें तो भी शक की नजरों से देखा जाता है। अनेक संस्थानों को इस हिंसा को रोकने की आवश्यकता है। हर महिला को अधिकार है कि वह हिंसा मुक्त हो और अपनी आजादी को यूं ही बेकार न जाने दें।

महिलाओं पर घरेलु हिंसा दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा चली जा रही हैं, सरकार और पुलिस को इस पर ध्यान देना चाहिए। आजकल महिलाओं पर घरेलु हिंसा इतनी नही है, जितनी पहले हुआ करती थी। पहले समय में महिलाओं को घर से बाहर भी आने-जाने नहीं दिया जाता था, महिला को छोटी सी उम्र में भी काम करवाया जाता था और बालिका वधु किया जाता था,लेकिन धीरे-धीरे समाज बदला, लोगों की सोच बदली इससे महिला को आर्थिक रुप से सहायता प्रदान होने लगी और धीरे- धीरे घरेलु हिंसा भी कम होने लगी, लेकिन आज भी कई घरों में महिलाओं के ऊपर घरेलु हिंसा हो रही है। और इसे रोकने के लिए देश को सशक्त रुप से जागरुक होने की है, तभी घरेलु हिंसा को रोका जा सकता हैं।शादी बाद लड़की अपना घर छोड़कर जाती है, यह सोच शायद मुझे वहां थोड़ा प्यार मिल जाए लेकिन उसे क्या पता कि वहां पर भी लड़की , बहु को लेकर कितनी बुरी सोच होती है। ससुराल वाले लड़की पर जबरन काम करवाते है, उसे मारते � पीटते है, यहां तक कि उसका पति भी उसका साथ नहीं देता। और ससुराल वाले अपनी बहु से सिर्फ लड़का ही चाहते है लेकिन ये गलत हैं। इसमें अगर पता चल जाए कि पेट में लड़की है तो उसे जन्म होने से पहले ही मार दिया जाता है या जन्म होने के बाद मार देते है। जबकि ये अपराध है, अगर लड़की इसका विरोध करती है तो उसको धमकी दी जाती है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए हर नारी को अधिकार है कि वह क्या चाहती है? सरकार को घरेलु हिंसा रोकने के अत्यंत प्रयास करने चाहिए।

महिला शोषण पर रोक के लिए विशेष ध्यान देना चाहिए। घरों में बाहर या ऑफिस में महिलाओं पर शोषण के मामले ज्यादातार आते है। महिला कहीं न कही अपनी सुरक्षा करने में नाकाम हैं। वह जितनी कोशिश करती है इसे कम करने के लिए लेकिन कहीं न कहीं से उभरकर सामने आ ही जाती है। महिला को ऑफिस में भी शोषण का सामना करना पड़ता है। वहीं बॉस उससे जबरदस्ती कर रहा है, तो कही उसका सहायक ही उसे ताड़ना देता है, इससे महिला के शारिरिक और मानसिक पर ज्यादा असर पड़ता है। जिससे वह खुद को संभालने में नाकाम हो जाती है। पुलिस को इस पर जोर देना चाहिए और महिला शोषण को रोकना चाहिए। ताकि कोई महिला इसकी शिकार न हो। और ब्रेफिक्र होकर कहीं भी आने-जाने में समर्थ रहें।

महिला अपने काम से भी डर- डर के बाहर निकलती है। उसे डर है कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाए। आजकल ऐसा हो भी रहा है। घटना घटती तो है इससे सबक भी मिलता है लेकिन धीरे � धीरे घटना को भूलकर फिर वहीं इतिहास दोहराया जाता है जिससे ये अपराध बढ़ते चले जाता है, जिससे ये अपराध बढ़ते चले जाते हैं। कोई भी पुरुष ये काम करने से पहले सौ बार सोचता क्यूं नहीं है कि आखिर उसके घर में भी मां-बहन या बेटी हैं। अगर उनके साथ ऐसा किया जाए तो उस पर, उसके परिवार वालों पर क्या बितेगी? महिलाओं को छेड़ना बलात्कार करना, पुरुष के लिए आसान होता है लेकिन इससे कहीं ज्यादा उम्रकेद की सजा काटाना होता है। हमारे देश में ऐसे अपराध होते जाते हैं और अपराधियों को कम से कम सजा दी जाती है। इससे नारी को न्याय भी नहीं मिल पाता है। और ये दुष्कर्म आगे बढ़ते चले जाते हैं। सरकार को ये दुष्कर्म छेड़छाड़ को रोकने की विशेष आवश्यकता है।

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