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11/08/2015  
छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है स्कूल
 

सुबह से लेकर शाम और शाम से लेकर रात तक अभिभावक अपने बच्चों की शिक्षा के प्रति सजग रहते है, और हर वक्त ईश्वर से अपने बच्चो कि कामयाबी की प्रार्थना करते है परंतु आज सरकारी विद्यालयों की माली हालत से उनकी दुआए पानी में तब्दील होती नजर आ रही है । किसी भी राज्य की सरकार अगर विद्यालयों पर रुख करे तो हालत दयनीय ही नजर आती हैं ।

 बच्चें दसवीं पास करने के बाबजूद भी अपने पाठ्यक्रम से कोसो दूर रहते है मानों कभी उन्होनें अपनी पाठ्यक्रम के अध्याय को देखा ही नहीं हो, तब जेहन में एक बड़ा सवाल उठता हैं कि माँ-बाप का लाडला कैसे उनका नाम करेगा ? इस प्रशन के जबाब के लिए जब हमने देश के कई राज्यों के छात्रों से बात कि तो इस सवाल का जबाब किसी दुख की बेला से कम नहीं था । जब हमनें बिहार के मधुबनी जिले के बेनीपट्टी कन्या उच्च विद्यालय कि छात्रा कुमारी अनुराधा से बात की तो उनका कहना था कि शिक्षा पर सरकार खो चुकी है ना तो विद्यालय में सभी विषयों के शिक्षक है, ना ही सभी विषय की कक्षा संचालन होती है । देश में दो तरह के शिक्षण संस्थान हैं पहला सरकारी और दूसरा गैर सरकारी । सरकारी में निचले स्तर के परिवार के बच्चें पढ़ते है और गैर सरकारी स्कूलों में पैसे वाले ही दाखिला ले पाते है । देश में आरटीई के तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ़्त शिक्षा उपलब्ध कराने एंव निजी स्कूलों को 6 से 14 साल तक के 25 प्रतिशत गरीब बच्चो को मुफ्त पढ़ाने का प्रावधान बनाया गया है । इस प्रावधान के तहत इन बच्चों से फीस वसूलने पर दस गुना जुर्माना लगाने की बात की गई है ।और शर्त न मानने पर मान्यता रद्द होइन की बात की गई है। मान्यता निरस्त होने पर विद्यालय चलाया तो एक लाख और इसके बाद रोजाना 10 हजार जुर्माना लगाया जायेगा । लेकिन इन तमाम नियमो के बाबजूद देश  के कई राज्यों जैसे बिहार ,यूपी ,पश्चिम बंगाल में इन नियमो की धड्ड्ले से अनदेखी की जा रही है । और बच्चों की अभिलाषाओं पर पानी फेरा जा रहा है ।
रुपेश रंजन मिश्रा स्कूलवार्ता

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