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23/09/2015  
देश के विकास के मूल खंड - शिक्षक, शिक्षा व माता-पिता
 

हर देश का विकास वहां की समाज व शिक्षा पर निर्भर करता है यदि शिक्षा को देश की नीवं कहा जाया तो गलत नही होगा क्योंकी देश में कानून व्यवस्था, सुरक्षा, एकता व अखंडता तभी संभव है जब वहां उच्च शिक्षा , व अनुसासन का सही आंकलन व स्तर हो. और बेहतर शिक्षा से ही हर देश को उच्च स्तरीय स्थान व सम्मान प्राप्त हो सकता है

शिक्षा को मजबूती देने बाले सिर्फ दो खंड होते हैं पहला शिक्षक व दूसरा एक अनुशासन प्रिय छात्र, अगर यह दोनों खंड अपने स्थान पर खरे उतरें तो उस देश की तरक्की को कोई नहीं रोक सकता, किसी भी सब्जेक्ट के टीचर के पास छात्रों के हर प्रश्न के जवाब के साथ सरल व सहज पढाने का तरीका भी होना चाहिए जिससे बड़े से बड़ा सवाल छात्र एक बार में ही आसानी से समझ व सीख सकें, वहीं जिस सब्जेक्ट का टीचर हो उसे अपनी उस सब्जेक्ट में निपुणता व अच्छी पकड़ होना बहुत जरूरी है तब ही वह अपने द्वारा पढाये जा रहे छात्रों को अच्छी शिक्षा दे पायेगा, अगर एक शिक्षक अयोग्य व बिना अनुभव के बच्चों को पढाता है तो इसे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना कहना गलत नहीं होगा और बच्चों के भविष्य के साथ खेलना कोई आम या छोटी बता नहीं है क्योंकि बच्चों की शिक्षा से खिलवाड़ करने का अर्थ है देश को विकास व तरक्की के रास्ते से भटकाव देना, जो देश में एक स्थायी ठहराव का जिम्मेदार है
माता-पिता का दायित्व (फर्ज)
जब माता- पिता पहले दिन अपने बच्चे को स्कूल में भजते हैं तभी उसे बड़े होकर क्या बनाना है इस बात को जेहन में लाना व स्वाभाविक विचार के तोर पर सोचना उनके लिए एक सुखद अनुभव होता हे , मगर यह विचार तभी सच हो सकता हे जब उसे स्कूल भेजने से पहले उस स्कूल व टीचर्स की स्थिति को सही से परखा जाए, अगर वह स्कूल आपके लाडले को अच्छी शिक्षा दे सके तभी आपका सपना पूरा हो सकता है वरना इसे असंभव कहना गलत नहीं होगा, माता पिता को एक अच्छा अभिभावक होना भी बहुत जरूरी है और जब तक आपका बच्चा खुद फैसले लेने लायक नहीं होता तब तक उसके निजी, व्यवहारिक व सही फैसले लेना आपका अह्म फर्ज है जो देश के लिए भी जरूरी है क्योंकी अगर आप अपने बच्चे के रूप में देश को एक बेहतर इंजीनियर, डॉक्टर, या साइंटिस्ट देते हो तो यह आपका देश की तरकी में बहुत बड़ा योगदान साबित होता है।
देवेन्द्र कुमार समाचारवार्ता

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