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25/09/2015  
नई पीढ़ी की शिक्षा में बदलाव की तैयारी
 

नई दिल्ली :- शिक्षा के क्षेत्र में एक अहम बदलाव की जरूरत को देखते हुए गुरूवार को नई दिल्ली के प्रयदर्शनी विहार में स्थित लवली पब्लिक सी.सेकेंडरी स्कूल में एक बैठक का आयोजन किया गया इस बैठक में दिल्ली के लगभग सभी बड़े स्कूलों के प्रबंधको ने भाग लिया, बैठक का उद्देश्य आज के समय में शिक्षा में बदलाव को लेकर था, आज की जरूरतों को देखते हुए एक नया पाठ्यक्रम तैयार करना और पुराने पाठ्यक्रम में कूछ ऐसे विषय हैं जिनका वर्तमान में कोई खास महत्व नहीं रह गया है और विद्यार्थी भी जिन्हें पड़ने में रूचि नहीं दिखाते इस विषय पास खास बातचीत करने के लिए दिल्ली के सभी क्षेत्रीय विद्यालयों से प्रबंधकों, व अध्यापकों की टीम बुलाई, बैठक का आयोजन लवली पब्लिक स्कूल के चेयर मेन आर. पी. मलिक ने किया।

बैठक के दौरान सभी ने अपने कीमती सुझाव व प्रस्ताव दिए और इस विषय को लेकर उठाए गए इस कदम की सराहना भी की, बैठक में मुख्याथिति के रूप में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व् एजुकेशन मिनिष्टर मनीष सिसोदिया उपस्थित रहे, इसके अलावा एजुकेशन डाइरेक्टर पदमिनी सिंघल, एडिशनल एजुकेशन डायरेक्टर डॉक्टर सुनीता कोशिक भी उपस्थित रही, इस दौरान मनीष सिसोदिया ने पहले सबके विचारों व सुझावों को सुना फिर इस पर अपनी राय रखते हुए पाठ्यक्रम में कटौती करनें पर उनकी राय मांगी, सिसोदिया ने कहा "शिक्षा  में बदलाव करने का यह मुद्दा बहुत अहम है और इसे गंभीरता से लेना होगा क्यों की यह देश के भविष्य का फैसला ही नहीं बल्कि उन मासूम बच्चों के आने वाले कल का फैसला है  जो किताबों से जीना सीखते हैं" सिसोदिया ने शिक्षकों व शिक्षा विशेषज्ञों से निवेदन करते हुए कहा, "अगर इसमें सभी शिक्षा विशेषज्ञ अपनी पूर्ण राय व सहमति के साथ एक ऐसा नया पाठ्यक्रम तैयार करते हैं जिससे हर स्टूडेंट जीने के साथ साथ देश के मौलिक कर्तव्यों को भी सीखता है व जिंदगी में आगे बढ़ाकर देश को एक नई पहचान दिलाने में अपना योगदान दे सके अगर ऐसा वास्तविक होता है तो उन शिक्षकों व शिक्षा विशेषज्ञ के लिए इससे ज्यादा  देश सेवा का कोई दूसरा मौका नहीं हो सकता" सिसोदिया ने आकड़ों की पुष्टि करते हुए बताया की इस विषय पर अब तक 40000 हजार शिक्षकों की निजी प्रतिक्रया आ चुकी हैं जिनमें कुछ इस संसोधन के पक्ष में हैं और कुछ तार्किक हैं इस पर उपमुख्यमंत्री ने खुशी जताते हुए कहा कि "इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है की देश में शिक्षकों ने शिक्षा पर इतनी गहनता से शोध किया है और रुची भी ले रहें है अगर इसमें वास्तविक कोई स्थाई समाधान होता है तो में उसका स्वागत करता हूँ और अपनी तरफ से पूर्ण सहयोग देने के लिए तैयार हूँ मुझे उम्मीद है कि न्यायलय से भी इसे स्वीकृति मिल जाएगी।

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