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30/12/2015  
सी.बी.एस.ई. साइंस और गणित प्रदर्शनी में सर्वोत्कृश्ट प्रदर्षन कर ओवरआॅल विजेता बना
 

महर्शि दयानंद के आदर्षों पर संचालित डी. ए. वी. सेंटेनरी पब्लिक स्कूल शास्त्रीनगर, मेरठ नेहरु वल्र्ड स्कूल गाजियाबाद में सी.बी.एस.ई. के त्रिदिवसीय साइंस और गणित प्रदर्षनी में सर्वोत्कृश्ट प्रदर्षन कर विजेता बना। यह प्रदर्षनी जोनल स्तर पर तीन चरणों में आयोजित की गई, जिसमें उत्तर प्रदेष के विभिन्न स्कूलों द्वारा 17 श्रेणियों में 178 माॅडल प्रस्तुत किए गए। इसमें कृशि एवं खाद्य सुरक्षा श्रेणी में डी. ए. वी. विद्यालय ने 200 में से 168 अंक प्राप्त किए तथा अपनी श्रेणी के साथ-साथ ओवरआॅल भी प्रथम स्थान प्राप्त किया और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में पहुँचकर विद्यालय की कीर्ति पताका को ऊँचा किया।

कक्षा 9 की छात्राओं आरुशि और श्रद्धा ने 'मैथमेटिकल एप्रोच टू इनक्रीज द क्रौप प्रोडक्षन' विशय पर अपना माॅडल प्रस्तुत कर दिखाया कि किस प्रकार हम अधिकतम कृशि फसलों का उत्पादन कर अपनी अर्थ व्यवस्था के मुख्य अंग कृषि उत्पादन को उन्नत करके भारत को फिर से सोने की चिडि़या बना सकते हैं। इसके लिए उन्होंने एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी पंजाब और इंडिया मिटियालाॅजिकल डिपार्टमेंट लोधी रोड़, नई दिल्ली द्वारा उपलब्ध पिछले 50 साल के आँकड़ों को आधार बनाया और सिद्ध किया कि कोहरे के दिनों में भी अनाज और आलू की फसल में से किसी एक को चुनकर उसका अधिक से अधिक उत्पादन कर देश और स्वयं को लाभान्वित किया जा सकता है।
इसके लिए किसान भाइयों को गेहूँ और आलू की फसल बोने से पहले (नवंबर और फरवरी) मौसम भविश्यवाणी विभाग से संपर्क करना चाहिए। अगर भविष्यवाणी में कोहरे के दिनों की संख्या 44 दिनों से ज्यादा है तो गेहूँ का अधिकतम उत्पादन किया जा सकता है और अगर कोहरे के दिनों की संख्या 44 दिनों से कम है तो आलू का अधिकतम उत्पादन किया जा सकता है। टअब हमारी फसलें होंगी ज्यादा और बढि़या, हमारा देश भारत एक बार फिर होगा सोने की चिडि़याट पंक्तियों संदेश देते हुए अपनी इन भावनाओं को माॅडल बनाकर अभिव्यक्त किया।
वर्तमान समय में मौसम की मार के कारण किसानों की शोचनीय अवस्था के परिप्रेक्ष्य में बच्चों की इस सोच और क्रियान्वयन की निर्णायक मंडल ने भी बहुत प्रशंसा की।
प्रधानाचार्या डाॅ. अल्पना शर्मा ने विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि बच्चों की सफलता में इनके अध्यापकों का योगदान सराहनीय है। इसलिए वे भी बधाई के पात्र हैं। भविष्य में भी हमारे बच्चे इसी प्रकार का प्रदर्षन करते रहेंगे।

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