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18/12/2013  
भाजपा भी परेशान डा. हर्ष वर्धन ने आम आदमी पार्टी से पूछे 14 सवाल
 

नर्इ दिल्ली, 18 दिसम्बर। भाजपा विधायक दल के नेता डा. हर्ष वर्धन ने आम आदमी पार्टी पर करारा प्रहार करते हुये कहा है कि यह पार्टी चुनावों से पहले ही कांग्रेस सरकार और कांग्रेस पार्टी से गुप्त सांठगांठ कर चुकी थी। इस पार्टी ने चुनावों के दौरान कांग्रेस की सहयोगी टीम के रूप में कार्य किया क्योंकि कांग्रेस पार्टी तथा सरकार को चुनावों से पहले ही पता चल गया था कि उसका सूपड़ा दिल्ली में महंगार्इ और भ्रष्टाचार के कारण साफ हो रहा है।

 आप पार्टी के विधायक दल के नेता अरविंद केजरीवाल तथा उनके सलाहकार दिल्ली के मतदाताओं को बार बार ब्यान बदलकर जनता को गुमराह क्यों कर रहे हैं जबकि वे सरकार बनाने या न बनाने पर हां या ना में उत्तर देकर अपनी सिथति साफ कर सकते हैं।

डा. हर्ष वर्धन आज दिल्ली प्रदेश भाजपा मुख्यालय में एक पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने दिल्ली की जनता को याद दिलाया कि आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस पार्टी और भाजपा का विरोध करते हुये चुनाव लड़ा था। चुनावों में 28 सीटें जीतने के बाद इस पार्टी ने बयान दिया कि वे कांग्रेस या भाजपा से न तो कोर्इ सहयोग लेंगे और न देंगे। इसके बाद कांग्रेस के इषारे पर इस पार्टी ने अपना एजेंडा बदला। इसके नेताओं ने यह कहना षुरू कर दिया कि दिल्ली की जनता की राय जानने के बाद ही सरकार बनाने या न बनाने के बारे में फैसला लेंगे। साथ ही साथ अपने को साफ सुथरा साबित करने की गरज से आप पार्टी ने अभी से यह भी कहना शुरू कर दिया है कि कांग्रेस पार्टी की नीति सरकार बनवाकर सरकार गिराना रहा है। आम आदमी पार्टी की भी सरकार बनवाने के बाद कांग्रेस पार्टी सरकार गिरा देगी।

डा. हर्ष वर्धन ने आम आदमी पार्टी तथा उसके विधायक दल के नेता अरविंद केजरीवाल से निम्नलिखित बिन्दुओं पर स्पश्टीकरण मांगा है ताकि दिल्ली की जनता को इस पार्टी की गुमराह करने वाली राजनीति के सच का पता चल सके:-

1.          चुनाव परिणाम आये 11 दिन बीत चुके हैं। अरविंद केजरीवाल को उपराज्यपाल से मिले भी 5 दिन बीत चुके हैं लेकिन आम आदमी पार्टी दिल्ली की जनता के साथ चूहा-बिल्ली का खेल खेल रही है। जनता असमंजस में है कि जिन आशाओं के साथ उसने आम आदमी पार्टी को वोट दिये, उनका क्या होगा? आम आदमी पार्टी दिल्ली की जनता को हां या ना में जवाब दे कि वह दिल्ली में सरकार बनायेगी या नहीं?

2.          दिल्ली में आम आदमी पार्टी क्या कांग्रेस के 8 विधायकों के सहयोग से सरकार बनायेगी? यदि सरकार नहीं बनाना है तो यह पार्टी उपराज्यपाल को साफ-साफ जवाब कितने दिनों में देगी?

3.          दिल्ली में कोर्इ सरकार न बनने की सिथति में नौकरशाही किंकर्तव्यविमूढ़ है। इससे दिल्ली का विकास बाधित हो रहा है। राजधानी में सरकारी कामकाज पूरी तरह ठप है। इसके लिये क्या आम आदमी पार्टी दोषी नहीं है?

4.          कांग्रेस पार्टी भी दिल्ली की जनता के साथ धोखा कर रही है। यह धोखा कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी की सांठगांठ और जानकारी में दिल्ली के लोगों को दिया जा रहा है। कोर्इ भी पार्टी सरकार बनाने के लिये किसी अन्य पार्टी को बाहरी या भीतरी सहयोग देने का ढिंढोरा इस प्रकार नहीं पीटती है जैसा कि कांग्रेस पार्टी पीट रही है। समर्थन देने का पत्र सीधे उपराज्यपाल को दिया जाता है। क्या यह आम आदमी पार्टी तथा कांग्रेस पार्टी के बीच नूरा कुष्ती नहीं है?

5.          श्री अरविंद केजरीवाल और श्रीमती सोनिया गांधी दिल्ली की जनता को बतायें कि आम आदमी पार्टी को सहयोग देने के बदले अंदरखाते इन दोनों पार्टियों में क्या डील हुर्इ है? दिल्ली की जनता सच जानना चाहती है।

6.          भाजपा ने दिल्ली के चुनावों में 32 सीटें जीतने के बाद उपराज्यपाल महोदय के बुलाने पर उन्हें विनम्रतापूर्वक यह बता दिया था कि जनता ने भाजपा को विपक्ष में बैठने का जनादेष दिया है। सरकार बनाने के लिये भाजपा के पास 4 सीटें कम हैं। इसलिये जनादेश का सम्मान करते हुये षुचिता की राजनीति के अपने निष्चय पर अटल होकर भाजपा किसी भी हालत में जोड़तोड़ या खरीद फरोख्त करके सरकार नहीं बनायेगी। ऐसी सिथति में भाजपा को बदनाम करने के लिये आम आदमी पार्टी ने चिटठी लिखी जबकि भाजपा ने अपना स्टैण्ड पहले दिने से ही जनता के बीच साफ कर दिया था।

7.          भाजपा कुछ नीतियों और सिद्धांतों पर चलकर यहां तक पहुंची है। पार्टी का स्टैण्ड साफ है कि वह किसी भी राश्ट्रविरोधी तथा धर्म और जाति की राजनीति करने वाली पार्टी से अलग है। इसीलिये भाजपा को पार्टी विद अ डिफरेंस कहा जाता है। क्या भाजपा आम आदमी पार्टी जैसी देशविरोधी पार्टी को किसी भी हालत में सहयोग दे सकती है! इस पार्टी के नेताओं ने बाटला हाउस मुठभेड़ को फर्जी बताकर शहीद मोहन चंद शर्मा का अपमान किया था। यह बात दिल्ली के लोग भूले नहीं हैं। आम आदमी पार्टी के ही नेता और सलाहकार प्रशांत भूषण ने जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेताओं का पक्ष लिया था और कहा था कि कश्मीर को भारत से अलग करके राज्य बना दिया जाना चाहिये। क्या यह राष्ट्रविरोधी कार्य दिल्ली तथा देश के लोगों को कभी भी स्वीकार्य होगा?

8.          कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी द्वारा मिलकर झूला झूलने और दिल्ली की जनता को गुमराह करने का खेल कब तक चलेगा यह दिल्ली की जनता जानना चाहती है क्योंकि राजधानी के लोग अनिर्णय और सरकारविहीनता की सिथति को अब बर्दाश्त नहीं करना चाहते।

9.          आम आदमी पार्टी भारत के खिलाफ साजिश करने वाले आतंवादियों तौकीर आदि का खुलकर समर्थन करती है। इसके कर्इ नेताओं पर अदालतों में मुकदमें चल चुके हैं और कर्इ मुकदमें लंबित है। कुछ मुकदमों में इस पार्टी के नेताओं ने अदालत से माफी मांगी है।

10.        आम आदमी पार्टी का जन्म प्रसिद्ध समाज सेवी अन्ना हजारे के 13 दिनों के अनषन के बाद हुर्इ थी। श्री अन्ना हजारे ने राजनीति से अलग रहकर राजनीति को शुद्ध तथा भ्रष्टाचार मुक्त करने की बात कही थी। उनकी बातों को हवा में उड़ाकर अरविंद केजरीवाल एण्ड कम्पनी ने आम आदमी पार्टी बनार्इ। क्या पार्टी बनाने से पहले आम आदमी के शीर्ष्

नेताओं ने दिल्ली की जनता की राय ली थी? अब चेलागण गुरू को ही नसीहत दे रहे हैं कि जो लोकपाल बिल पास हुआ है उससे कोर्इ चूहा भी जेल नहीं जा सकता है। क्या अरविंद केजरीवाल एण्ड पार्टी दषकों से समाजसेवा में जुड़े श्री अन्ना हजारे से ज्यादा बुद्धिमान हैं कि वे अब अपने पूज्य गुरू के खिलाफ अमर्यादित भाशा का प्रयोग कर रहे हैं?

11.        महात्मा गांधी ने आजादी मिलने के बाद कांग्रेस को भंग करने की सलाह कांग्रेसजनों को दी थी।  वह सलाह सत्ता की लालच में नहीं मानी गर्इ।  श्री अन्ना हजारे ने भी राजनैतिक पार्टी न बनाने की सलाह अरविन्द केजरीवाल तथा उनके सहयोगियों को दी थी।  पद और प्रतिष्ठा की लालच में श्री अन्ना हजारे की सलाह भी नहीं मानी गर्इ।  जबकि भाजपा अपने आदर्श पुरूषों स्वर्गीय श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के आदशों पर आज भी चल रही है।

12.        आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल तथा अन्य लोग अपने पत्राचारों तथा सार्वजनिक बयानों में घोर आपत्तिजनक अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते हैं।  मीडिया में बहसों में भी ये लोग अमर्यादित तथा असंसदीय भाषा का प्रयोग लगातार कर रहे हैं।  क्या भारत जैसे सभ्य और सांस्कृतिक देश में ऐसी भाशा का सार्वजनिक उपयोग शोभनीय है?  कांग्रेस पार्टी तथा भारतीय जतना पार्टी अपने आदर्श पुरूषों की राह पर चलती है लेकिन चंद दिनों पहले राजनीति में उतरे अरविन्द केजरीवाल तथा उनके सहयोगियों को इतना अहंकार हो गया है कि वे अपने आदर्श पुरूष श्री अन्ना हजारे के खिलाफ बरगलाने और बहकाने जैसी ओछी भाशा का प्रयोग कर रहे हैं।  याद रहे कि दिल्ली की जनता ने चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में भाजपा को ही जनादेश दिया है।  जनता कांग्रेस के कुराज से ऊबी हुर्इ थी वह विकल्प की तलाश में थी ऐसे में आम आदमी पार्टी को भी उसने 28 सीटें जिता दीं।  अब भी भाजपा दिल्ली की जनता की प्रथम पसंद है।  यह बात चुनाव परिणामों से साफ है।

13.        यदि आम आदमी पार्टी को वर्तमान लोकपाल बिल से कोर्इ आपतित है तो वे एक अलग आंदोलन अपनी पसंद के जनलोकपाल के लिये क्यों नहीं चलाते हैं? अब ये लोग लोकपाल को भूलकर लोकसभा चुनाव लड़कर प्रधानमंत्री की कुर्सी का ख्वाब देख रहे हैं। क्या ऐसे वायदाखिलाफ लोगों पर दिल्ली तथा देष की जनता भरोसा कर सकती है? क्या अन्ना हजारे के लोकपाल बिल के समर्थन करने पर आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की जनता की राय जानी? यदि नहीं जानी तो एकतरफा विरोध क्या वोटों की राजनीति के कारण है?

14.        आम आदमी पार्टी बराबर कहती आर्इ है कि वह जनता के चंदे से चुनाव लड़ेगी। अब अरविंद केजरीवाल देश के सभी बड़े व्यापारिक तथा औधोगिक घरानों से अपील कर रहे हैं कि वे उन्हें खुलकर चंदा दें। क्या सिर्फ चंदा वसूलना तथा कुर्सी हासिल करके मजे मारना ही आम आदमी पार्टी का उददेश्य रह गया हैआप पार्टी के विधायक दल के नेता अरविंद केजरीवाल तथा उनके सलाहकार दिल्ली के मतदाताओं को बार बार बयान बदलकर जनता को गुमराह क्यों कर रहे हैं जबकि वे सरकार बनाने या न बनाने पर हां या ना में उत्तर देकर अपनी स्थिति साफ कर सकते हैं।

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