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05/09/2014  
मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्‍मृति इरानी ने राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार विजेता शिक्षकों को संबोधित किया
 

‘यस्‍य देवे परा भक्तिर्यथा देवे तथा गुरौ’ : किसी शिक्षक के प्रति श्रद्धा ठीक वैसी ही होनी चाहिए जैसी भगवान के प्रति होती है। शिक्षकों में गहरे विश्‍वास का पहली बार उल्‍लेख हजारों साल पहले ‘श्‍वेताशवतार उपनिषद’ में हुआ था।

इससे यह साफ पता चलता है कि पुरातन समय से ही हमारे देश में शिक्षकों के प्रति गहरी श्रद्धा रही है। शिक्षक न केवल सम्‍माननीय रहे हैं, बल्कि उनका व्‍यवहार एक ऐसे मित्र के तौर पर भी रहा है जो हमारी खुशहाली के लिए सदैव प्रयासरत रहते हैं-गुरुवे कल्‍याण मित्र, जिसका उल्‍लेख महायान बौद्ध धर्म में है। वास्‍तव में शिक्षक नि:स्‍वार्थ ढंग से अपने शिष्‍यों का ज्ञानोदय करते रहे हैं। यही कारण है कि महान ऋषियों ने भी खुद की मोक्ष प्राप्ति से भी ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण शिक्षकों की भूमिका को माना है। जाति एवं वर्ग इत्‍यादि से भी उपर उठकर शिक्षकों को सम्‍मानित करने की यह परंपरा जारी रखी गई है। इस संदर्भ में उपानीहैदिक युग की प्रसिद्ध प्रबुद्ध महिला गार्गी का उदाहरण सबसे अच्‍छा है जिन्‍होंने बहस में यागायावल्‍का को परास्‍त किया था। 

अत: आज शिक्षकों को सम्‍मानित कर और खुद को ज्‍यादा कुशल साबित करने वाले शिक्षकों को पुरस्‍कृत कर हमने ज्ञान सीखने की स्‍वत: प्रक्रिया के उच्‍चतम मूल्‍यों के प्रति अपनी अथक प्रतिबद्धता को बरकरार रखा है। 


सर्वोत्‍तम शिक्षक वही हैं जो केवल सैद्धांतिक बातें करने के बजाय बहुमूल्‍य सुझाव देते हैं। किसी भी शिक्षक का उद्देश्‍य अपनी छवि के मुताबिक विद्यार्थियों को सृजित करना नहीं है, बल्कि ऐसे विद्यार्थियों को तैयार करना है जो खुद अपनी छवि सृजित करने में सक्षम हों। यही कारण है कि कोई शिक्षक जो पढ़ाते हैं, उससे कहीं ज्‍यादा अहम उनका व्‍यक्तित्‍व होता है। आप केवल विद्यार्थियों को ज्ञान से सुसज्जित नहीं करते हैं, बल्कि आप पूरी सभ्‍यता के चरित्र का निर्माण करते हैं। 

हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कल कहा था, ‘अगर हमारे शिक्षक समय से कुछ आगे नहीं रहेंगे, तो समाज आगे नहीं बढ़ पाएगा।’ उन्‍होंने अक्‍सर यह बात रेखांकित की है कि आज के जमाने में विकास का माध्‍यम कनेक्टिविटी है। पढ़ाई में आईसीटी के इस्‍तेमाल से इसमें अहम बदलाव होंगे। अत: शिक्षकों को अपने प्रयासों के साथ-साथ आईसीटी संसाधनों का भी इस्‍तेमाल करना चाहिए। इस बात को ध्‍यान में रखते हुए मुझे यह घोषणा करने में खुशी महसूस हो रही है कि हम जल्‍द ही नेशनल ई-लाइब्रेरी की शुरुआत करने जा रहे हैं जिससे सभी को पढ़ार्इ के संसाधन उपलब्‍ध हो जाएंगे। 

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