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29/11/2014  
एनईआरपीएसआईपी- उत्‍तर पूर्वी के लिए जीवन का नया आधार
 

उत्‍तर पूर्वी क्षेत्र बिजली प्रणाली सुधार परियोजना (एनईआरपीएसआईपी) को मंजूरी देने का सरकार का फैसला उत्‍तर पूर्वी राज्‍यों के आर्थिक विकास के लिए उसकी प्रतिबद्धता के अनुरूप है। उत्‍तर पूर्वी राज्‍यों में वितरण एवं पारेषण प्रणालियां काफी कमजोर रही हैं और इसके मद्दे नजर केन्‍द्रीय बिजली प्राधिकरण ने पावर ग्रि‍ड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड पीजीसीआईएल के साथ विचार विमर्श कर उत्‍तर पूर्वी राज्‍यों के लिए एक व्‍यापक योजना बनाई है।


प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में हाल ही में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने छह राज्‍यों असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और नागालैंड के लिए एक परियोजना को मंजूरी दी है। इस परियोजना का मकसद इन राज्‍यों में वितरण एवं पारेषण प्रक्रिया को मजबूत करना है तथा इस पर 5111.33 करोड़ रुपये की अनुमा‍नित लागत आएगी जिसमें क्षमता निर्माण पर होने वाला खर्च 89 करोड़ रुपये शामिल है। इस परियोजना का मुख्‍य उद्देश्‍य उत्‍तर पूर्व क्षेत्र के राज्‍यों में वितरण एवं पारेषण बुनियादी ढांचे की कमियों का पता लगाना है। इससे पहले 4754.42 करोड़ रुपये लागत वाली इसी तरह की योजना को अरूणाचल प्रदेश और सिक्‍कि‍म के लिए मंजूरी दी गई थी।  

नई केन्‍द्रीय क्षेत्र योजना

      बिजली मंत्रालय की नई केन्‍द्रीय क्षेत्र योजना के तहत इस स्‍कीम को लिया जाना है और इसे विश्‍व बैक से प्राप्‍त होने वाले ऋण की सहायता और भारत सरकार द्वारा क्रियान्‍वित किया जाएगा। एनईआरपीएसआईपी में आने वाले खर्च की 50:50 प्रतिशत राशि विश्‍व बैक और भारत सरकार द्वारा वहन की जाएगी लेकिन क्षमता निर्माण पर आने वाले खर्च 89 करोड़ रुपये को पूरी तरह भारत सरकार वहन करेगी। यह परियोजना 3 चरणों वाले विकासात्‍मक कार्यक्रम का पहला चरण है जिसके लिए विश्‍व बैक 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रत्‍येक की तीन किश्‍तें देगा।

पीजीसीआईएल-क्रियान्‍वयन एजेंसी

     यह परियोजना पीजीसीआईएल के जरिए छह उत्‍तर पूर्वी राज्‍यों के सहयोग से क्रियान्‍वि‍त की जाएगी और इसे 4 वर्षों की अवधि में शुरू किया जाएगा। परियोजना शुरू होने के बाद इसके स्‍वामित्‍व एवं रख रखाव की जिम्‍मेदारी राज्‍य सरकारों की होगी।

परियोजना की अनुमानित लागतें

     फरवरी 2014 की कीमतों के आधार पर इस परियोजना की अनुमानित लागत 5111.33 करोड़ रुपये बताई गयी थी। इसका विवरण इस प्रकार है-

   (आंकडे करोड़ रुपये में)

 

विश्‍व बैक

भारत सरकार

कुल

 

परियोजना लागत

परियोजना लागत

क्षमता निर्माण

असम

729.485

729.485

14.83

1473.803

मणिपुर

213.690

213.690

14.83

442.213

मेघालय

381.050

381.050

14.83

776.933

मिजोरम

150.965

150.965

14.83

316.763

नागालैंड

357.290

357.290

14.83

729.413

त्रिपुरा

678.685

678.685

14.83

1372.203

उप- योग

2511.165

2511.165

89

5111.33

कुल योग

2511.165

2600.165

 

मौजूदा पारेषण नेटवर्क

     वर्तमान में, उत्‍तर पूर्व के सभी छह राज्‍य 132 किलोवाट और कम क्षमता के पारेषण नेटवर्क से जुडे है इन राज्‍यों में 33 किलोवाट प्रणाली बिजली वितरण प्रणाली की रीढ़ है। राज्‍यों में वितरण एवं पारेषण के बीच मांग एवं उपलब्‍धता के अंतर को कम करने के लिए उत्‍तर पूर्वी के सभी छह राज्‍यों में 132 किलोवाट/220 किलोवाट कनेक्‍टीविटी आवश्‍यक है ताकि वोलटेज प्रबंधन समुचित हो और वितरण में कम से कम हानियां हो। इसी प्रकार उत्‍तर पूर्वी के सभी छह राज्‍यों में वितरण प्रणाली मुख्‍यत: 33 किलोवाट नेटवर्क पर आधारित है जिसमें व्‍यापक रूप से सुधार किया जाएगा।

योजना/परियोजना का प्रभाव

         इस परियोजना के क्रियान्‍वयन से एक विश्‍वसनिय राज्‍य पावर ग्रिड की स्‍थापना होगी और अन्‍य लोड सेंटरों से इसके कनेक्‍शन में सुधार होगा और इससे सभी श्रेणी के उपभोक्‍ताओं को ग्रिड से जुडी बिजली के लाभ मिल सकेंगे।

         यह परियोजना राज्‍यों के ऐसे गांव और शहरों को जरूरी ग्रिड क्नेक्टिवीटी उपलब्ध करायेगी जहां केंद्र सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों के तहत निचले स्तरों पर वितरण प्रणाली का विकास किया जा रहा है।

         यह परियोजना सभी के लिए बिजल राष्ट्रीय के राष्ट्रीय उद्देश्य को पूरा करने का प्रयास है। इसमें ग्रिड से जुड़ी बिजली तक उपभोक्ताओं की पहुंच में वृद्धि के जरिये बिजली आपूर्ति की उपलब्धता पर ध्यान दिया गया है जिससे समावेशी वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

         इस परियोजना से इन राज्यों में प्रति व्यक्ति बिजली खपत में बढोतरी होगी। और इससे पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के विकास में योगदान मिलेगा। फिलहाल ये राज्य बिजली की औसत राष्ट्रीय खपत से काफी पीछे है। राज्य की बिजली कंपनियों के अधिकारियों को केंद्रीय क्रियान्वयन एजेंसी के साथ सहयोग का फायदा मिलेगा और वे विकास के दूसरे और तीसरे चरण में व्यापक भूमिका निभाने में सक्षम होंगे।

लेखक राजेश मल्होत्रा, निदेशक और एन. देवन, सहायक निदेशक, पीआईबी, नई दिल्ली

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