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04/12/2014  
अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा सरकार की नीति
 

अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा सरकार ने ऐसी नीति बनाई है, जिसके तहत सरकारी व गैर सरकारी क्षेत्र में भवनों पर अक्षय ऊर्जा पॉवर प्लांट लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके लिए सरकार की तरफ से अधिसूचना जारी की गई है तथा यह नीति पूरे प्रदेश में लागू की गई है।

 इसी नीति से अगले तीन वर्षों में 200 मैगावाट सोलर ऊर्जा का उत्पादन करने में मदद मिलेगी। इसके साथ-साथ 2 लाख 52 हजार मीट्रिक टन कोयले की सालाना बचत होगी। इस नई नीति से 16 लाख 60 हजार किलोलीटर पानी की सालाना बचत होगी तथा 3 लाख मीट्रिक टन कार्बन को वातावरण में प्रदूषण फैलाने से रोकने पर मदद मिलेगी। 

यह जानकारी देते हुए जिला उपायुक्त श्री के.एम. पांडुरंग ने बताया कि बिजली उत्पादन के लिए कोयले व अन्य ईंधनों पर निर्भरता को कम करने तथा ऊर्जा उत्पादन के ऐसे संयंत्रों की स्थापना पर जोर दिया जाएगा, जिससे वातावरण को प्रदूषित होने से भी रोका जा सके। ऐसी स्थिति में सरकार ने सरकारी व गैर सरकारी क्षेत्र में अक्षय ऊर्जा के उत्पादन के लिए सोलर फोटोवोल्टाईक बिजली सयंत्र लगाने को बढ़ावा दिया जाएगा। इस कार्य के लिए सभी विभागों के अधिकारियों को यह आदेश दिए गए हैं कि वे ऐसे भवनों की पहचान करें, जहां फोटोवोल्टाईक बिजली संयंत्र लगाना जरूरी होगा। 

उपायुक्त ने बताया कि इस नई अक्षय ऊर्जा नीति से पर्यावरण को भी प्रदूषित होने से बचाने में मदद मिलेगी। सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार जिन नगर निगमों, नगर परिषदों, नगर पालिकाओं व नगर विकास प्राधिकरण औद्योगिक अवसंरचना विकास निगम के सैक्टरों की सीमा के भीतर आने वाले 500 वर्ग गज या इससे अधिक आकार के प्लाटों पर आवासीय भवनों के लिए कम से कम एक किलोवाट या संबंद्ध भार का 5 प्रतिशत जो भी अधिक हो, सौर फोटोवोल्टाईक विद्युत संयत्र स्थापित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त 30 किलोवाट या अधिक संबद्ध भार वाले सभी निजी   शैक्षणिक संस्थाओं, स्कूलों, महाविद्यालयों, छात्रावासों, तकनीकी व व्यवसायिक शिक्षा संस्थानों तथा विश्वविद्यालयों में, जिनमें कम से कम 5 किलोवाट अथवा संबंद्ध भार का 5 प्रतिशत जो भी अधिक हो, ऐसे संयंत्र स्थापित करना जरूरी होगा।  30 किलोवाट या अधिक संबंद्ध भार वाले सभी सरकारी भवनों, कार्यालयों, सरकारी महाविद्यालयों, जिला शिक्षा तथा प्रशिक्षण संस्थान, सरकारी शैक्षणिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों, जिनका कम से कम दो किलोवाट अथवा संबंद्ध भार का 5 प्रतिशत जो भी अधिक हो, ऐसे संयंत्र लगाना अनिवार्य होगा। 

उपायुक्त ने बताया कि ऐसे सभी निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम, औद्योगिक प्रतिष्ठानों, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों, मॉलों, होटलों, मोटलों, समारोह हालों तथा पर्यटन काम्पलैक्स, जिनका संबंद्ध भार 50 किलोवाट से एक हजार किलोवाट हो, वहां कम से कम 10 किलोवाट अथवा संबंद्ध भार का 5 प्रतिशत जो भी अधिक हो, सौलर फोटोवोल्टाईक बिजली सयंत्र लगाना जरूरी होगा। इसके अतिरिक्त एक हजार किलोवाट अधिक लोड वाले अस्पतालों और नर्सिंग होम में कम से कम 50 किलोवाट अथवा संबंद्ध भार का 3 प्रतिशत जो भी अधिक हो, ऐसे संयंत्र लगाना जरूरी होगा। ऐसे आवासीय समूह, आवासीय समितियों, बिल्डरों तथा आवास बोर्ड द्वारा 0.5 एकड़ से एक एकड़ के लिए कम से कम 10 किलोवाट, एक एकड़ से दो एकड़ तक कम से कम 20 किलोवाट, दो एकड़ से अधिक और 5 एकड़ तक कम से कम 30 किलोवाट तथा 5 एकड़ से अधिक के प्लाट पर कम से कम 40 किलोवाट क्षमता के सौलर फोटोवोल्टाईक बिजली सयंत्र स्थापित करने होंगे। इसके अतिरिक्त 100 किलोवाट और अधिक संबंद्ध भार वाले सिंचाई विभाग के सभी वाटर लिफिटिंग स्टेशन पर कम से कम 50 किलोवाट अथवा संबंद्ध भार का 3 प्रतिशत जो भी अधिक हो, ऐसे संयंत्र लगाना जरूरी होगा। सरकार ने यह भी आदेश दिए हैं कि इन भवनों में पूर्णत: प्रमाण-पत्र अक्षय ऊर्जा विभाग हरियाणा से अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के उपरांत ही जारी किया जाएगा। सभी विभाग, नगर ग्राम योजना, शहरी स्थानीय निकाय, लोक निर्माण विभाग, जन स्वास्थ्य, औद्योगिक विकास निगम, समाज कल्याण, रैड क्रास, वास्तुकला, कृषि विपणन बोर्ड, सिंचाई, वन आदि सौलर फोटोवोल्टाईक बिजली सयंत्रों की स्थापना के आज्ञापरक प्रावधानों को लागू करेंगे। 

कैथल से राजकुमार अग्रवाल की रिपोर्ट

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